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Ramayan Aaj ke Liye with Kavita Paudwal

Hindi, Religion, 1 season, 121 episodes, 14 hours, 34 minutes
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राम की कहानी हम बचपन से सुनते आ रहे हैं।कभी तुलसी दस की चौपाइयाँ, तो कभी रामानंद सागर की कल्पनायें - जाने अनजाने - हर प्रकार की रामायण हमारे मन में छाप छोड़ गयी है।तो फिर इस वर्णन में ऐसा क्या ख़ास है? इस podcast में कविता पौडवाल आपको मूल वाल्मीकि रामायण तो सुनाएंगी ही तथा आपके साथ वह ये भी समझने की कोशिश करेंगी कि आज के दौर में राम और राम की कथा का क्या महत्व हैं। यहाँ आपको अयोध्या का इतिहास तो जानने को मिलेगा ही साथ ही म्यूटेंट्स, सुपरहेरोस, मेटावर्स जैसी आधुनिक कथाओं से रामायण के किरदारों की तुलना के ज़रिये आप राम और उनकी लीलाओं को और भी करीब से अपना सकेंगे।
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श्री राम द्वारा वर्षा ऋतु का विवरण

बाली को मार कर और सुग्रीव का राज्य अभिषेक होने के बाद प्रस्रवण पर्वत पर रहने वाले श्री राम अपने भाई लक्ष्मण से कहते हैं "जल की प्राप्ति कराने वाला वर्षा काल आगया है। पर्वत जैसे मेघो से आकाश मंडल भर गया है। जैसे, कोई तरुणी ९ महीनो के लिए अपने गर्भ में बालक धारण करती है, और फिर उसे जन्म देती है, वैसे, ९ महीनो के लिए आकाश से सूर्य की किरणों द्वारा समंदर के पानी को पीकर अपने भीतर धार दिया था। अब ये आकाश जल रुपी रसायन को जन्म दे रहा है। किस प्रकार किया था श्री राम ने ऋतू वर्षा का वर्णन? आइए जानते हैं, रामायण आज के लिए इस episode में।
3/17/20236 minutes, 59 seconds
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किष्किंधा में हुआ सुग्रीव का राज्याभिषेक

कपिराज बाली के अंतिम संस्कार के बाद, पवनपुत्र हनुमान ने सलाह दी कि, क्यूंकि श्री राम ने सुग्रीव को न्याय दिलाने में सहायता करी, इसलिए, सबसे पहले उन्हें और महाराज सुग्रीव को किष्किंधा में पदार्पण करना चाहिए। पर राम ने किष्किंधा में कदम रखने से क्यों मना कर दिया? उन्होंने सुग्रीव को सीता को ढूंढने का प्रयास कब शुरू करने को कहा? सुग्रीव और अंगद का राज्याभिषेक किस तरह की धूमधाम से हुआ? वहीं, राम लक्ष्मण प्रश्रवन पर्वत पर श्रावण मास की अवधि समाप्त होने की प्रतीक्षा किस प्रकार करने लगे? आइए जानतें हैं, रामायण आज के लिए के इस episode में।
3/16/20237 minutes, 18 seconds
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बाली का अंतिम संस्कार

तारा, अंगद, सुग्रीव, किष्किंधा की प्रजा, सभी बाली की मृत्यु के कारण विलाप कर रहे थे। तब महारानी तारा की नजर श्रीराम पर पड़ी। वह राम से बोलीं - आपका कोई पार नहीं। आपने अपने इंद्रियों पर मात की है। आपकी कृपा सब पर बरसती है। तो मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे भी मार दीजिए ताकि मैं अपने पति के साथ जा सकूं। जवाब में राम ने तारा से क्या कहा? और लक्ष्मण के कहने पर सुग्रीव ने अंगद और तारा के साथ, बाली के अंतिम संस्कार कैसे किया? आइए सुनतें हैं इस episode में।
3/15/20235 minutes, 13 seconds
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मरने से पहले बाली का अंतिम संदेश

कपिराज बाली के मृत्यु अब निकट थी। उनकी पत्नी तारा दुख और भावनाओं के सागर में डूबी, कुछ सोच नहीं पास रहीं थीं। तब हनुमान ने कैसे उन्हें सहानुभूति दी? इस दौरान बाली ने, किष्किंधा राज, तारा और अपने बेटे - अंगद को लेकर, सुग्रीव को क्या सलाह दी? और सारे वानरों को शोकाकुल देख, सुग्रीव ने अनपे किये पर पछतावा कैसे व्यक्त किया? आइए जानतें हैं, रामायण आज के लिए के इस episode में।
3/14/20235 minutes, 57 seconds
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बाली के लगाए अधर्म के आरोप का राम ने क्या जवाब दिया?

जब बाली की शक्ति के सामने सुग्रीव हारने लगे तब श्रीराम ने बाली पर पेड़ों के पीछे से छुपकर वार किया। इस बात पर घायल बाली ने राम पर आरोप लगाया कि धर्म के अनुसार राम का व्यवहार गलत था। वाली को राम से कोई बैर नहीं था फिर भी राम ने पीछे से उन पर वार किया और उन्हें अपने बचाव का मौका तक नहीं मिला। राम ने वाली के लगाए आरोप पर किस प्रकार प्रति उत्तर दिया? बाली ने अपनी भूल मानकर, अपनी मृत्यु कैसे स्वीकारी? और प्राण छोड़ने से पहले, उन्होंने राम से अपनी पत्नी तारा और पुत्र अंगद के लिए क्या माँगा? आइए सुनतें हैं इस episode में।
3/13/20237 minutes, 46 seconds
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बाली वध। राम ने बाली को पीछे से क्यों मारा?

बाली ने अपनी समझदार पत्नी तारा की सलाह को अनसुना कर दिया और सुग्रीव के साथ युद्ध करने के लिए वापस रणभूमि में उतर गए। उन्हें लगा कि, क्यूँकि राम धर्म का पालन करते हैं, वह किसी निर्दोष पर वार नहीं करेंगे। पर बाली इस बात का अनुमान नहीं लगा पाए कि पेड़ों के पीछे छिपे राम मौका देखते ही उनपर एक ज़हरीले साँप की तरह दिखनेवाला तीर छोड़ देंगे, जो बाली की छाती को छेद देगा। मरते-मरते बाली ने राम पर अधर्म का आरोप क्यों और कैसे लगाया? और क्या राम ने अपने बचाव में जवाब दिया या नहीं? आइये जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
3/10/20237 minutes, 24 seconds
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राम ने सुग्रीव की मदद कैसे करी?

राम और लक्ष्मण किष्किंधा की सीमा तक पहुंचकर वहीं वन में छुप गए। इतने में सुग्रीव ने अपने भाई, बाली को द्वन्द्व युद्ध के लिए ललकारा। कुछ ही देर में उन दोनों के बीच भयंकर लड़ाई शुरू हुई। आश्चर्य की बात यह थी कि वह दोनों कपि बिल्कुल एक दूसरे की तरह दिख रहे थे। श्री राम समझ ही नहीं पाए कि बाली कौन है और सुग्रीव कौन। जब सुग्रीव अपनी जान बचाकर भागे, तब राम ने उन्हें रणभूमि में पहचानने के लिए क्या तरकीब निकाली? वापस किष्किंधा जाते हुए उन तीनों से सप्तजन आश्रम को नमन क्यों किया? और इस बार बाली की पत्नी, तारा ने उन्हें रोकने का प्रयत्न क्यों किया? आइए सुनतें है इस episode में।
3/9/20239 minutes, 41 seconds
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सुग्रीव ने राम के कौशल का प्रमाण कैसे लिया?

जब सुग्रीव ने राम और लक्ष्मण को बाली की कहानी सुनाई, तब उन्हें सूर्यपुत्र कपिराज की शक्ति और कमज़ोरी दोनों का प्रमाण मिला। कहानी के अंत में सुग्रीव ने राम को रिश्यामुख पर्वत पर दुंदुभि राक्षस की सूखई हुई हड्डियों का ढेर भी दिखाया। तब राम और लक्ष्मण दोनों को कहानी का तात्पर्य समझ में आया। वास्तव में सुग्रीव राम की शक्ति का प्रमाण देखना चाहते थे। जवाब में राम ने अपने मित्र को कैसे विश्वास दियाला कि वह बाली को हरा सकतें हैं? और फिर राम और लक्ष्मण के समर्थन से सुग्रीव ने अपने भाई बाली को युद्ध के लिए कैसे ललकारा? आइए जानतें हैं, रामायण आज के लिए के इस episode में।
3/8/20236 minutes, 49 seconds
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कपिराज बाली का बल

अब तक हमने सुना कि कैसे बाली ने सुग्रीव पर आरोप लगाकर उन्हें राज्य से बाहर निकाला था। इतना ही नहीं सुग्रीव की पत्नी, रोमा को बाली ने राज्य में कैद करके रखा था। सुग्रीव को श्री राम की मित्रता पर विश्वास तो था, लेकिन वह उन्हें बाली के शौर्य के बारे में भी बताना चाहते थे, क्यूंकि युद्ध में आक्रमण करने से पहले, शत्रु की शक्ति का प्रमाण लिया जाता है। तो सुग्रीव ने राम और लक्ष्मण को दुंदुभी के बार में बताते हुए, बाली के कौशल का सबूत कैसे दिया? और अपने भाई और मातंग ऋषि की भिड़ंत के बारे में बताते हुए सुग्रीव ने दशरथ नंदन को बाली की कमज़ोरी का अनुमान कैसे व्यक्त किया? आइए जानतें है इस episode में।
3/7/20236 minutes, 47 seconds
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सुग्रीव और बाली का बैर

सीता के आभूषण देखकर राम विचलित हो गए। पर सुग्रीव के मीठे शब्दों से, उनके सांत्वन से, वह संभल भी गए। फिर राम ने सुग्रीव से सीता और रावण को ढूंढने की सलाह मांगी। साथ ही उन्होंने सुग्रीव को दिए हुए वचन को पूरा करने का आश्वासन दिया। उसके बाद सुग्रीव की समस्या समझने के लिए राम ने उन्हें अपनी पूरी कहानी विस्तार से सुनाने को कहा। जवाब में सुग्रीव ने अपने भाई बाली और मायावी नमक राक्षस के युद्ध के बारे में बताया। फिर उन्होंने राम को बताया कि वह किष्किंधा के राजा कैसे बने, और कैसे उन्हें राजगद्दी से उतारकर देशनिकाला क़रार किया गया। आइए सुनतें हैं सुग्रीव का जोखिम भरी कहानी रामायण आज के लिए के इस episode में।
3/6/20238 minutes, 42 seconds
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सुग्रीव और राम ने मित्रता निभाने की शपथ ली

ऋष्यमुख पर्वत पर पहुंचकर हनुमान ने कपिराज सुग्रीव के सामने राम और लक्ष्मण को अपने कंधे से उतारा और सारा वृतांत सुग्रीव को सुनाया। सुग्रीव यह सुनकर बहुत खुश हुए कि श्री राम उनसे मित्रता करना चाहते हैं और कहा की उनके लिए ये अभिमान की बात होगी। ये जानकर, श्री राम ने उन्हें गले से लगाया। फिर दोनों ने अग्नि के समक्ष मित्रता निभाने की शपथ ली। इसके बाद सुग्रीव ने राम को अपने, अपने भाई वाली और पत्नी के बारे में क्या बताया? राम ने उनकी मद्दत करने का निर्णय क्यों लिया? और बदले में सुग्रीव ने राम को सीता के आभूषण देकर उन्हें क्या वचन दिया? आइए सुनते हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
3/3/20237 minutes, 38 seconds
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हनुमान और राम की भेंट

सुग्रीव की आज्ञा अनुसार, ब्राह्मण का भेस लेकर, हनुमान, राम और लक्ष्मण की जानकारी लेने के लिए पाम्पा सरोवर पहुँचे। हनुमान ने उन दोनों को विनम्रता से वंदन किया। फिर उन्होंने इन दीप्तिमान अजानुबाहू मनुष्यों से उनका परिचय कैसे माँगा? राम ने हनुमान के व्यव्हार से उनके चरित्र के बारे में क्या निष्कर्ष निकला? लक्ष्मण ने सुग्रीव को लेकर अपने इरादों के बारे में उन्हें क्या बताया? और राम की कहानी सुनकर हनुमान का मन क्यों भर आया? आइए सुनतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
3/2/20238 minutes, 28 seconds
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राम के जीवन में अब शुरू होता है किष्किन्धा काण्ड

कर्नाटक के हम्पी क्षेत्र को आज भी किष्किन्धा के नाम से जाना जाता है। यह एक समय में सुग्रीव की राजधानी हुआ करती थी, जहाँ राम और लक्ष्मण, सीता को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते पहुँचे। वसंत ऋतु में पाम्पा सरोवर की सुंदरता देख, सीता के विरह में राम और भी दुखी हुए। राम को भावुक देख, लक्षमण उन्हें अपने मन पर नियंत्रण रखने की सलाह देने लगे। पर दोनों भाइयों की बातचीत के दौरान सुग्रीव उन्हें तीर्व द्रिष्टि से देख रहे थे। सुग्रीव को संदेह था कि उनके बड़े भाई बाली ने, हानि पहुँचाने के लिए, इन दोनों अजानुबाहू मनुष्यों को किष्किन्धा भेजा था। जब सुग्रीव ने अपने साथी वानरों को ये बात बताई, तब कपि हनुमान ने सुग्रीव से क्या कहा? और फिर, मिलकर, उन दोनों ने राम और लक्षमण को परख़ने की क्या तरक़ीब लगाई? आइये जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
3/1/20237 minutes, 47 seconds
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शबरी कौन थीं? और राम से उनकी भेंट कैसे हुई?

कबंध के बताये रास्ते से होते हुए राम और लक्ष्मण पाम्पा सरोवर के पास ऋष्यमूक पर्वत पर पहुँचे। वहाँ उन्हें भक्त और विदुषी शबरी मिलीं, जो जंगल में रहने वाली जनजाती से थीं। लेकिन उनके चहरे पर उनकी साधना और योग का तेज था। राम और लक्ष्मण से मिलने पर शबरी ने उनका स्वागत कैसे किया? उन्होंने दोनों भाइयों को मातंग वन के बारे में क्या बताया? और राम ने शबरी का उद्धार कैसे किया? इस episode में आइए सुनतें हैं, शबरी की कहानी वाल्मीकि रामायण के अनुसार।
2/28/20237 minutes, 7 seconds
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राक्षस कबंध ने राम को सुग्रीव और शबरी के बारे में बताया

राम और लक्ष्मण ने कबंध को मारने के बाद उसका शरीर जला दिया। चिता से कबंध का सुन्दर दिव्य रूप निकल आया, जिसे स्वर्ग ले जाने के लिए दैवी विमान आ खड़ा हुआ। पर जाने से पहले, उसने राम को सीता तक पहुँचने की तरक़ीब बताई। कबंध ने दोनों भाइयों को सुग्रीव का परिचय कैसे दिया? उसने क्या सोचकर कहा की सीता को ढूंढने में सुग्रीव सक्षम रहेंगे? फिर कबंध ने राम और लक्ष्मण को सुग्रीव तक पहुँचने का रास्ता बताया। उसने पाम्पा सरोवर का वर्णन करते हुए, ऋषि मातंग के बारे में क्या कहा? साथ ही, उन्हें भक्त शबरी का परिचय कैसे दिया? और क्या वाल्मीकि रामायण की शबरी, तुसली रामायण की शबरी से अलग थीं? आइए जानतें हैं इस episode में।
2/27/20238 minutes, 53 seconds
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राम ने कबन्ध राक्षस का उद्धार कैसे किया?

सीता को बचाने की कोशिश करते-करते जटायु ने अपने प्राण गवा दिए। गृद्धराज की मृत्यु से राम को बहुत दुख हुआ और उन्होंने जटायु का अंतिम संस्कार, विधि-अनुसार, अपने हाथों से किया। इसके पश्चात वह लक्ष्मण के साथ सीता की खोज में दक्षिण दिशा में निकल गए। कुछ समय बाद वह क्रौंच जंगल पहुंचे। वहाँ अयोमुखी नामक राक्षसी से मिलने पर राम और लक्षमण ने क्या किया? और फिर जब उन्हें कबंध नामक विचित्र और भयानक राक्षस का सामना करना पढ़ा, तब उन दोनों ने कबंध को कैसे मारा? आइए सुनतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/24/20238 minutes, 15 seconds
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राम को सीता के अपहरण के बारे में किसने बताया?

जब राम को सीता के संघर्ष के संकेत मिले, तब उनका क्रोध उनके आपे से बाहर हो गया। वह बदले की आग में सारे लोकों को नष्ट करने निकले। ऐसे में लक्ष्मण ही उन्हें रोक सकते थे। लक्ष्मण ने राम का क्रोध शांत करने के लिए ऐसी क्या बात कही, जो आज भी मसाल के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। जब दोनों भाइयों ने सीता की खोज फिर शुरू करी तब उन्हें घायल जटायु मिले। राम ने क्या सोचकर, विशाल जटायु पर वार करने के लिए क्षुर बाण निकाला? और उस वृद्ध पक्षी ने राम को सीता के अपहरण के बारे में क्या बताया? आइए सुनते हैं इस episode में।
2/23/20238 minutes, 35 seconds
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राम और लक्ष्मण को सीता के अपहरण के चिंह मिले

सीता को आश्रम में ना पाकर भग्वान-रूपी राम मनुष्य के भाँती अधीर होने लगे। आख़िरकार लक्ष्मण के अलावा उन्होंने सीता से ही अपना सारा दुःख बांटा था। राम को लाचार देख, लक्षमण ने उनका सांत्वन कैसे किया? शांत होने पर, जब राम सीता को खोजने के लिए आगे बढ़े, तब किस प्राणी के समूह ने उनकी मद्दत करी? सुझाव अनुसार जब दोनों भाई दक्षिण दिशा में चलने लगे, तो उन्हें किस प्रकार के चिंह दिखे, जिनकी वजह से ये निश्चित हो गया था की सीता को कोई ज़बरदस्ती उठा कर ले गया था? आइए सुनतें रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/22/20237 minutes, 18 seconds
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राम को कैसे पता चला कि सीता संकट में थीं?

फिछले episode में हमने सुना कि कैसे देवों ने लंका-बधित सीता को खीर खिलाकर यह सुनिश्चित किया कि वह जीवित रहें। वहाँ दूसरी तरफ़ राम मारीच को मारकर आश्रम की ओर भागे। रस्ते में आसपास के जानवरों की बेचैनी देख वह समझ गए थे की सीता ख़तरे में हैं। कुछ ही क्षणों में उन्हें लक्षमण मिले, जो सीता के कहने पर राम को ढूंढने निकले थे। एक दूसरे को देखते ही वह दोनों समझ गए कि राक्षसों की चाल सफल हुई। आश्रम पहुँचते-पहुँचते राम ने लक्ष्मण पर क्या आरोप लगाया? लक्ष्मण ने अपनी सफ़ाई में क्या जवाब दिया? और सीता को ढूंढते हुए भगवान रुपी राम एक साधारण मनुष्य जैसे भ्रमित कैसे हुए? आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/21/20237 minutes, 13 seconds
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सीता ने रावण से दूरी बनाये रखने के लिए क्या किया?

सीता रावण का इरादा अब अछि तरह से समझ गयीं थीं। क्यूंकि रावण एक परपुरुष था और उन दिनों विवाहित स्त्रियाँ उनसे पर्दा करतीं थीं, इसलिए सीता ने अपने और रावण के बीच, सीमा के तौर पर, एक घांस की तीली पकड़ली। रावण ने उस चिन्ह का सम्मान किया, पर साथ ही उससे विवाह करने के लिए उसने सीता को 12 महीनों का वक़्त भी दिया। कड़ी निगरानी में सीता को लंका में रखा गया, जिसको देख स्वर्ग लोक में देव बहुत ख़ुश हुए। उन्हें लगा कि अब राम के हाथों रावण का अंत निश्चित है। पर वह इस बात को सुनिश्चित करना चाहते थे। तो उन्होंने सीता के जीवित रखने के लिए क्या किया? आए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/20/20238 minutes
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रावण सीता का अपहरण करके उनके साथ लंका पहुँचा

विशाल और वृद्ध जटायु को मारने के बाद अब रावण के रास्ते में कोई बाधा नहीं थी। लेकिन सीता अपने आपको छुड़ाने का संघर्ष करती रहीं। कुछ दूरी पर सीता ने पर्वत पर बैठे वानर देखे। उन्होंने उन वानरों बीच अपनी ओढ़नी में ज़ेवर उतारकर फेंक दिए, ये सोचते हुए कि शायद ये वानर सीता को ढूंढने में राम की मद्दद कर पाएँ। पर, किसी कारण, इस बात पर रावण ने ध्यान नहीं दिया। लंका पहुँचकर रावण ने सीता को किसके हवाले किया? राम और लक्ष्मण से निपटने के लिए उसने क्या कदम उठाये? और कैसे रावण ने सीता को उससे विवाह करने के लिए मानाने का प्रयास किया? आइए सुनतें हैं इस episode में।
2/17/20237 minutes, 36 seconds
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रावण ने किया सीता का हरण, जटायु ने किया बचाने का प्रयास

जब सीता ने रावण के साथ लंका जाने से मना कर दिया तब रावण ने सीता के बाल पकड़े और एक हाथ से उन्हें उठाकर उग्रता से अपने सुनहरे रथ में बिठाया। पलक झपकते ही वह रथ आकाश में उड़ने लगा और लंका की और बढ़ने लगा। सीता चिल्लाने लगीं, राम और लक्ष्मण को पुकारने लगीं। उनकी दुहाई सुनकर जटायु चौक्कन्ने हो गए और सीता को रावण के चंगुल से बचाने का प्रयास करने लगे। पक्षियों के राजा, वृद्ध पर विशाल जटायु ने रावण पर कैसे प्रहार किया? रावण ने किस प्रकार जटायु को हराया? और उनकी मृत्यु के बाद सीता का क्या हुआ? आइए जानतें हैं, रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/16/20238 minutes, 9 seconds
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रावण ब्राह्मण के भेस में सीता का हरण करने आया

रावण भिक्षुक के भेस में राम-सीता के आश्रम आया। सीता ने लक्ष्मण की चेतावनी के बावजूद, रावण को ब्राह्मण समझ कर, शापित होने के डर से, उसका आदर सत्कार किया। उसे भोजन खिलाया। फिर सीता ने उसे अपने बारे में बताया। साथ ही उन्होंने रावण का परिचय माँगा। तब रावण ने अपना असली रूप दिखाया और बोला की वह तीनों लोको का राजा है और सीता को अपनी पत्नी बनाना चाहता है। यह सुनकर सीता ने जवाब में क्या कहा? और वैदेही द्वारा अस्वीकृत होने के बावजूद वह कैसे अपनी बात पर डटा रहा? रावण ने सीता का अपहरण कैसे किया? आइए जानतें हैं, रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/15/20238 minutes, 12 seconds
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क्या लक्ष्मण ने सच में सीता की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा बनायी थी?

राम के साथ खेलते खेलते, वह सोने का हिरन उन्हें आश्रम से काफ़ी दूर ले गया। कुछ समय बाद वह हिरन झाड़ियों में जाकर फँस गया। उस ही क्षण, एक ही तीर से राम ने बारहसिंगा रुपी मायावी मारीच को घायल कर दिया। मरते मरते मारीच ने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से सीता और लक्षमण को लगा की राम मुसीबत में हैं? सीता ने लक्ष्मण को राम के पास जाकर उनकी मद्दत करने के लिए कैसे मनाया? क्या लक्ष्मण ने सच में, राम के पास जाते हुए, सीता की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा बनायी थी? और सभी चेतावनियों के बावजूद, सीता ने ब्राह्मण के भेस में आये हुए रावण का आदर सत्कार क्यों किया? आइए जानतें हैं, रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/13/20239 minutes, 4 seconds
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मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण किया

मारीच की बातों का रावण पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा रावण ने ही मारीच को डाँटते धमकाते कहा कि अगर वह रावण की मद्दत नहीं करेगा तो मारा जाएगा। यह सुनकर उसने अपने भाग्य को स्वीकारा और रावण के साथ दण्डकारण्य पहुँचा। मारीच ने, सोने के हिरण का रूप लेकर, सीता को कैसे आकर्षित किया? लक्ष्मण को उसकी असली पहचान कब और कैसे हुई? सच्चाई जाने के बाद भी राम ने हिरण रुपी मारीच का पीछा क्यों किया? और हमें इस सब से भाग्य की यंत्रणा के बारे में क्या पता चलता है? आइए सुनते हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/10/20237 minutes, 47 seconds
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मारीच रावण को सीता का अपहरण करने से मना करता है।

जब सीता का अपहरण करने के लिए रावण मारीच को हिरन का रूप लेने के लिए कहता है, तब मारीच घबरा जाता है। वह रावण के राम के बल, साहस, कौशल और बुद्धिमत्ता का अनुमान देने की कोशिश करता है। वह रावण को राम से अपने युद्ध के बारे में भी बताता है। मारीच यहाँ तक कहता है की रावण की एक भूल का मूल्य पूरी लंका को चुकाना पढ़ेगा। लेकिन उसे राक्षस वृत्ति छोड़ने की सुबुद्धि कैसे आई? उसे महा शक्तिशाली लंका नरेश रावण को अच्छे और बुरे के बीच का अंतर बताने का साहस कहाँ से आया? आइए सुनते हैं इस episode में।
2/9/20238 minutes, 13 seconds
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रावण ने सीता का अपहरण करने के लिए मारीच से मद्दत मांगी।

रावण अब मान गया था कि राम कोई साधारण मनुष्य नहीं थे और उन्हें रोकना राक्षसों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हो गया था। वह अपने सुवर्ण रथ में बैठकर तुरंत मारीच से मिलने निकला। रास्ते में उसने दक्षिण भारत में क्या-क्या देखा? वट वृक्ष, सौभद्र का क्या महत्त्व था? जब रावण मारीच के पास पहुँचा तो उसने राम को अधर्मी क्यों बताया? और सीता का अपहरण करने के लिए वह मारीच से किस प्रकार की मद्दत चाहता था? आइए सुनते हैं वाल्मीकि रामायण पर आधारित इस episode में।
2/8/20237 minutes, 34 seconds
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राम के हाथों खर और दूषण की मृत्यु क्यों और कैसे हुई?

अब खर की 14000 राक्षसों की सेना और भाई दूषण का विनाश हो गया था। लेकिन इससे पहले की खर मैदान में उतरता, त्रिसिरा ने राम पर आक्रमण करने की इच्छा जताई। पर त्रिसिरा के अनगिनत वर राम के तीन बाणों के सामने फीके पढ़ गए। दूषण और त्रिसिरा की मृत्यु के बाद, खर ने बड़ी ही निपुणता और कौशल से राम का सामना किया। पर राम की दृढ़ता की कोई सीमा नहीं थी। राम के हाथों खर की मृत्यु क्यों और कैसे हुई? अकम्पन, जो युद्ध से बच कर भाग निकला था, उसने लंका नरेश रावण को राम और लक्ष्मण के बारे में क्या बताया? और रावण को सीता का अपहरण करने का विचार कहाँ से आया? आइए सुनतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/3/20237 minutes, 21 seconds
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राम ने एक ही बाण से 14000 राक्षसों का वध कैसे किया?

शूर्पणखा के कान और नाक कटने पर वह पंचवटी से भाग गयी और सीधा अपने भाई खर के पास पहुंची। उसने खर को अपनी और से युद्ध करने के लिए उकसाया। उसने अपने भाई के अभिमान को ललकारते हुए राम और लक्ष्मण का वध करने की चुनौती दी जो खर ने स्वीकारी। पहले उसने 14 भयानक राक्षसों को शूर्पणखा के साथ भेजा। पर राम ने उन्हें मार गिराया। फिर खर खुद 14000 दानवों के साथ राम से लड़ने निकला। रास्ते में खर और उसकी सेना के साथ क्या हुआ? राम ने लक्ष्मण को सीता से संबोधित क्या आदेश दिया? और वह अकेले ही 14000 राक्षसों से कैसे लड़े? आइए राम के कौशल का अनुभव लेतें हैं, रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/2/20238 minutes, 58 seconds
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लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक क्यों काट दी?

चित्रकूट में राम लक्ष्मण सीता ने अपना जीवन व्यतीत करना शुरू किया। वह सुबह-सुबह गोदावरी नदी में नहा कर, अपनी पूजा पाठ करके, आश्रम में विश्राम करते थे। ऐसी ही एक सुबह वहां पर एक राक्षसी आए। राम की छवि देख कर वह उनके प्रति आकर्षित हो गयी। पर जब शूर्पणखा ने राम से अपनी भावना व्यक्त की तब राम ने उसे लक्षमण के पास क्यों भेजा? फिर लक्ष्मण ने अपने भाई के साथ मिलकर उसे कैसे चिढ़ाया? और जब शूर्पणखा को इस बात का एहसास हुआ, तब उसने गुस्से में आकर ऐसी क्या धमकी दी जिसकी वजह से लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी? आइए सुनतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
2/1/20237 minutes, 9 seconds
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राम, लक्ष्मण और सीता विशाल गृद्ध जटायु से कैसे मिले?

पंचवटी जाते समय राम, लक्ष्मण, सीता ने रास्ते में एक विशाल गृद्ध पक्षी को देखा। पहले उन्हें लगा कि यह कोई राक्षस है जो रूप बदलकर बैठा है। जब उन्होंने उस गृद्ध पक्षी से उनका परिचय माँगा तब उन्होंने राम को अपनी उत्पत्ति के बारे में और संसार के जीव जंतुओं के बारे में क्या बताया? जटायु राम, लक्ष्मण और सीता की मद्दत कैसे करना चाहते थे? उनकी मद्दत के कारण राम और लक्ष्मण ने चित्रकूट की पंचवटी में अपना आश्रय कैसे बनाया? और उस आश्रम में उन्होंने सीता के साथ अपना जीवन कैसे व्यतीत करना शुरू किया? आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
1/31/20238 minutes, 12 seconds
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राम अगस्त्य मुनि से क्यों मिलना चाहते थे?

दंडकारण्य में चलते-चलते राम, लक्ष्मण और सीता ने कितने ही पर्वत और नदियां पार करीं, उनसे सम्बंधित कहानियाँ सुनी। वह अलग-अलग रशियों के आश्रम में रहे। कहीं दस महीने कहीं एक साल तो कहीं तीन-चार महीने। फिर वो वापिस सुतीक्ष्ण ऋषि के आश्रम लौटे। वहाँ उन्होंने अगस्त्य मुनि के बारे मे पूछा जो उसी जंगल में रहते थे। ऋषि सुतीक्ष्ण ने उन्हें ऋषि अगस्त्य के बारे में क्या बताया? राम उन से क्यों मिलना चाहते थे? और मिलने पर अगस्त्य मुनि ने राम, लक्ष्मण और सीता की समस्या का समाधान कैसे किया? आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
1/30/20236 minutes, 48 seconds
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धर्म के बारे में राम और सीता का संवाद

ऋषि शरभंग के जाने के बाद, बाकी ऋषि राम के पास आए। यह ऋषि वेखन वलखिल्य जाती के थे और अलग अलग प्रकार से साधना करते थे। इनका राम से एक ही अनुरोध था कि वह उनकी राक्षसों से रक्षा करें। राम ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह अपने धर्म का पालन करते हुए उनकी मद्दद अवश्य करेंगे। ऐसा कह कर वह शरभंग के बताए हुए रास्ते पर ऋषि सुतीक्ष्ण से मिलने निकले। पर यह सब सुनकर सीता के मन में एक दुविधा उत्पन हुई। वह दुविधा क्या थी? उन्होंने अपनी शंकाओं को राम के सामने कैसे प्रस्तुत किया? और इससे हमें राम और सीता के चरित्र और संभंध के बारे में क्या सीख मिलती है, आइए जानतें हैं इस episode में।
1/27/20237 minutes, 52 seconds
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जब राम, लक्ष्मण, सीता ने ऋषि शरभंग के दर्शन किए

विराध को मारकर, उसे मुक्ति दिलाने के बाद, राम समझ गए थे कि घने जंगलों में रहना खतरों से खाली नहीं होगा। इसलिए वह सीता और लक्ष्मण को लेकर तुरंत ऋषि शरभंग के आश्रम की और निकल गए। वह समझते थे कि अब उन्हें एक वनवासी ही इन जंगलों में जीवित रहना सीखा सकतें हैं। पर आश्रम पहुँचने पर उन्होंने देखा कि कोई दैवी, तेजस्वी, सुंदर, शायद खुद देव ही, ऋषि शरभंग के साथ बातें कर रहे थे। वह दैवी पुरुष कौन थे? ऋषि शरभंग से क्या चाहते थे? और ऋषि शरभंग राम को क्या बताने के लिए उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे? आइए सुनतें हैं इस अध्भुत episode में।
1/26/20235 minutes, 40 seconds
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राम ने सीता को विराध नामक राक्षस से कैसे बचाया?

होता हैं ना? जब आप पर कोई हमला करे, तो आप सह लेते हैं। पर अगर वही हमला आपके अपनों पर हो रहा हो, तो आप उसे सहन नहीं कर पाते। उस समय आप अपनी निष्पक्षतावाद खो देतें हैं। ऐसा ही कुछ राम के साथ हुआ जब विराध नामक राक्षस ने सीता को हानी पहुँचाने की कोशिश करी। पर लक्ष्मण ने अपना आपा नहीं खोया और डट कर उस राक्षस का सामना किया। ऐसे में विराध ने क्या कहा जिसकी वजह से राम होश में आए, उससे युद्ध करने के लिए मैदान में उतरे और उसकी मुक्ति का कारण बन गए? आइए सुनतें हैं रामायण आज के लिए के इस रोमांचक episode में।
1/25/20237 minutes, 8 seconds
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जंगल में सीता के साथ दुर्व्यवहार

राम जब जंगल में थे तो उन्हें काफी राक्चासो का सामना करना पढ़ा परंतु एक राक्छस ने माँ सीता को ही उठा लिया और राम-लष्मन को धमकी देने लगा। उस धमकी पर राम के मन में क्या संदेह आया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।
1/24/20235 minutes, 32 seconds
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कैसे मिला सीता को राम का साथ?

माता अनुसुइया के आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद माता सीता ने बताया कि कैसा रहा उनका बचपन और आखिर कैसे उन्हें राम जैसा हमसफ़र मिला। सीता से स्वयंवर के बाद भी राम ने क्यों विवाह करने में विलम किया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।
1/23/20236 minutes, 41 seconds
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राम से क्या छिपा रहे थे ऋषिजन

राम-सीता के जंगल में रहने वहाँ पर क्या उत्पात होने लगा? आखिर क्यों वहाँ से सभी ऋषि राम को छोड़ कर एक दूसरे आश्रम में चले गए? सीता को माँ अनुसूया से क्या साथ मिला? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।
1/20/20236 minutes, 57 seconds
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भरत और श्री राम की खड़ाऊ का अटूट रिश्ता

भरत के बापस अयोध्या लौटने के बाद उन्हें कैसी दिखी अयोध्या और भारत ने क्यों महल से एक अलग जगह रह कर साशन किया? भारत ने क्यों राम की खड़ाऊ को निर्णायक बनाया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।
1/19/20235 minutes, 18 seconds
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भरत का राम को मानाने के लिए अनषन

भरत ने राम के प्रतिक को कैसे अयोध्या का शाषक बनाया और कैसे अपने भाई को मानाने के सरे प्रियासो के बाद भरत सभी अयोध्यावासियो के साथ बापस लौट गए? बापस जाते वक़्त उन्होंने किस जगह पर विश्राम करने को चुना? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।
1/18/20236 minutes, 9 seconds
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क्यों राम को वन में नहीं रहना चाहिए?

राम को पिता का रिण चुकाने की जिद्द पर , ऋषि ने राम को क्या तर्क दिया? आखिर राम को वनवास ना करने के लिए बाकी किन तर्कों का इस्तेमाल किया गया और अंत में श्री राम ने कैसे अपना निर्णय बनाया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।
1/17/20237 minutes, 48 seconds
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भरत के सरे तर्कों को राम ने नाकारा

राजा दशरथ के वचन को सर्वोत्तम मान कर राम ने कैसे भरत के सारे तर्कों को नाकारा और कैसे भरत को बापस अयोध्या जाकर राज-पाठ सँभालने के लिए मनाया? जानिये रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।
1/16/20235 minutes, 27 seconds
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श्री राम का विलाप

राजा दशरथ के देहांत के बाद कैसे किया श्री राम ने विलाप और उनके कठिन समय में कौन उन्हें शांत करवाने के लिए आया? भारत के लाख मानाने के बाद भी राम ने भारत को कैसे अयोध्या का सिंघासन लेने के लिए मनाया? जानिये रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में।
1/13/20236 minutes, 19 seconds
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भरत राजा नहीं बनना चाहता था

राज्य की पूछताछ करने के बाद, राम ने भरत से पुछा की वह राजकीय भेस छोड़कर वनवासियों के भेस में उनसे मिलने क्यों आए हैं। जवाब में भारत ने अपनी माँ कैकेई के किए पर शर्मिंदगी जताई। उन्होंने इस बात को भी स्वीकारा कि वह अयोध्या के सिंघासन पर नहीं बैठना चाहते और उन्हें शासन करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। साथ ही नियमों और आयु के अनुसार राम ही राजा बनने के योग्य थे। ऐसा कहकर भरत ने राम से अयोध्या वापस चलकर अपना स्थान लेने की विनती करी। फिर उन्होंने राम को ऐसी बात बताई की राम के पैरों तले ज़मीन निकल गयी। वह बात क्या थी और उसका राम पर क्या प्रभाव पढ़ा? आइए जानतें हैं इस episode में।
1/12/20236 minutes, 5 seconds
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राम भरत संवाद

पिछले episode में हमने सुना कि चित्रकूट में राम भरत को अपनी प्रजा में विश्वास यानी trust और निष्ठा यानी loyalty कैसे बनाए रखते है, वह सीखा रहे थे। इस episode में सुनिए की कैसे राम ने भरत को लोगों के स्वाभाविकता, उनकी पेहचान करना सिखाया? उन्होंने राजकीय और समाजिक सुरक्षा का महत्व कैसे बताया? फिर राम ने संपत्ति निर्माण और अर्थव्यवस्था को आगे कैसे बढ़ाया जाए, इसका पाठ पढ़ाया। उन्होंने भारत को यह भी सलाह दी कि पारिस्थितिकी तंत्र यानी ecosystem को कैसे बनाए रखा जाए। अगर आप नेतृत्व कौशल अर्थात leadership skills सीखना चाहतें हैं तो रामायण आज के लिए के इस episode को ज़रूर सुनें।
1/11/20235 minutes, 43 seconds
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भरत राम का प्रेम

आख़िर वह दिन आ ही गया जिसके लिए भरत ने जी-तोड़ मेहनत करी थी। भरत को राम मिल गए थे। इतने दिनों से वह इस विचार में विवश थे कि वह राम के अपराधी थे और उनकी वजह से राम को वनवास मिला था। इस लिए भरत राम को देखते ही उनके पैरों में गिर गए। पर राम ने अपने छोटे भाई को उठाकर गले से लगाया और एक छोटे बच्चे की तरह उन्हें गोद में बिठाया। वह भरत के लिए खुश थे क्योंकि उन्होंने समझा की पिता दशरथ ने भरत को अब अयोध्या का राजा बना दिया है। राम ने बड़े प्रेम और सम्मान से भारत से उनका हाल पुछा। आइए सुनतें हैं राम और भरत का संवाद रामायण आज के लिए के इस episode में।
1/10/20237 minutes, 11 seconds
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भरत भेंट

चित्रकूट में राम के आश्रय के पास पहुँचने पर भरत ने अपनी सेना को वहीँ तैनात रहने का आदेश दिया। साथ ही उन्होंने शत्रुघ्न से कह कर अपनी माँओं को बुलवाया और खुद ओर पैदल निकल गए। कुछ देर चलने पर उन्हें राम, सीता और लक्ष्मण की बहुत ही साधारण सी कुटिया दिखी। जब वह कुटिया के द्वार तक पहुँचे तो उन्होंने क्या देखा? राम भरत को कहाँ और किस हाल में मिले? और राम से मिलने पर भरत ने सबसे पहले क्या काम किया? आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
1/9/20235 minutes, 32 seconds
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भरत, राम, लक्ष्मण और सीता से मिलने चित्रकूट पहुँचे

ऋषि भारद्वाज के बताए हुए रास्ते से जब भरत, अपने परिवार, अयोध्या वासी और सेना के साथ, मंदाकिनी नदी तक पहुँचे तब उन्हें समझ में आ गया था कि अब चित्रकूट पर्वत दूर नहीं। उन्होंने अपनी सेना को राम, लक्ष्मण और सीता की कुटिया ढूंढ़ने के लिए आगे भेजा। वहीँ दूसरी तरफ़ राम और सीता चित्रकूट की सुंदरता का आनंद ले रहे थे कि अचानक उन्हें दूर से मनो धूल का बदल नज़र आया। राम ने लक्ष्मण को जाँच-पड़ताल करने के लिए भेजा। जब उन दोनों को ये समझ में आया की उनकी ओर, और कोई नहीं, पर भरत, अपनी सेना के साथ, बढ़ रहे थे, तब उनके मन में किस प्रकार के संदेह, विचार और आशाएँ उत्पन्न हुईं आए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
1/6/20236 minutes, 21 seconds
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ऋषि भारद्वाज ने अयोध्या वासियों की थकान कैसे दूर करी?

ऋषि भारद्वाज ने तप करके दिव्य वास्तुकार यानी divine architect विश्वकर्मा, कुबेर यानी god of wealth, वरुण अर्थात god of wind और याम को बुलाया। ताकि वह सब अयोध्या वासियों के रेहेन-सेहेन, खाने-पीने का प्रबंध कर सकें। फिर उन्होंने संगीत और नृत्य में निपुण गंधर्वों और अप्सराओं को बुलाया। सभी देवी देवताओं की मद्दत से ऋषि भारद्वाज का रचाया ये अनुभव किसी चमत्कार से कम नहीं था। इस episode में, आए सुनतें हैं की किस तरह इस अनुभव ने अयोध्या से आये सभी यात्रियों की मानसिक तथा शारीरिक थकान दूर करी।
1/5/20238 minutes, 3 seconds
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ऋषि भारद्वाज ने भरत और उनकी सेना का स्वागत किया

जब भरत ने ऋषि भारद्वाज की परीक्षा पर की तब ऋषि भारद्वाज ने ऋषि वशिष्ठ, भरत और उनके साथ आइये सब लोगों का स्वागत करना चाहा। उन्होनें भरत से उनके साथ आए रघुकुल के सदस्य, अयोध्या वासी, सेना, इत्यादि के बारे में पुछा। जवाब में भरत ने कहा कि वह आश्रम की शांति को भांग नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने सभी को आश्रम से दूर ठहराया था। पर ऋषि भारद्वाज परम्परा अनुसार, उन सबकी, आवभगत करना चाहते थे। उन्होंने सबके खान-पान, रेहेन-सेहेन की व्यवस्था कैसे करी? और हमें भरत की नागरिकता मने civic sense के बारे में क्या पता चलता है आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
1/4/20235 minutes, 21 seconds
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ऋषि भारद्वाज ने ऐसा क्या कहा जिससे भरत को बुरा लगा?

भरत, रघुकुल के सदस्य, अयोध्या वासी, सेना और पशु - सभी गंगा पर हुए और प्रयाग नाम के वन पहुँचे। प्रयाग में देवों के ऋषि, भरद्वाज का आश्रम था। आश्रम में प्रवेश करने से पहले भरत ने सादे कपड़े पहने। फिर अपनी सेना के कुछ ही लोगों के साथ ऋषि वशिष्ठ के पीछे पीछे चल पड़े। उन्हें देखकर ऋषि भरद्वाज बहुत खुश हुए। उन्होंने ने वशिष्ठ को गले से लगाया। वह राजा दशरथ के निधन के बारे में जानतें थे इसलिए उन्होंने दशरथ के बारे में कुछ नहीं पुछा। फिर भरत ने राम के बारे में जानना चाहा। पर राम के बारे में कुछ भी बताने से पहले, ऋषि भरद्वाज भरत से कुछ पूछना चाहते थे। उन्होंने भरत से क्या पुछा? और भरत को उनकी बात का बुरा क्यों लगा? आए जानतें हैं इस episode में।
1/3/20237 minutes, 53 seconds
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भरत की हिम्मत क्यों टूटी?

निषादराज गुहा अब ये जान गए थे कि भरत अपने परिवार और अयोध्या वासियों के साथ राम, सीता और लक्ष्मण को वन से वापस अपने राज्य लेजाने आए थे। इसलिए उन्होंने भरत को शीरंगवेरपुर में आमंत्रित किया, उनकी देखभाल करी और उनकी मद्दत करने का निर्णय लिया। भरत के प्रवास के दौरान गुहा ने उन्हें लक्ष्मण की कही क्या बातें बताईं? और राम के बारे में गुहा की कही किस बात को सुनकर भरत की हिम्मत टूट गयी? आए सुनतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
1/2/20235 minutes, 55 seconds
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भरत और निषादराज गुहा की भेंट

लाखों की संख्या में अयोध्या वासी भरत के साथ राम, लक्ष्मा और सीता को वापस लाने के लिए निकले। बहुत समय बाद वह श्रृंगवेरपुर पहुँचे, जहाँ निषादराज गुहा राज करते थे। उस रात, वहाँ रुकने का निर्णय लिया गया। गुहा और उनके साथी वन में छुपकर सभी देख रहे थे। गुहा ये समझना चाहते थे की भरत का राम के प्रति क्या इरादा है। इसलिए वह अपनी सेना को तैनात करके भरत और शत्रुघ्न से मिलने निकले। जब गुहा ने भरत से पुछा कि राम के प्रति उनके मन में कोई शत्रुता तो नहीं तब भरत ने क्या उत्तर दिया? और निषादराज गुहा ने भरत की मद्दत करना क्यों उचित समझा आइए जानतें हैं इस episode में।
12/30/20227 minutes, 9 seconds
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ऋषि वशिष्ठ भरत को राजा क्यूँ बनाना चाहते थे?

पिछले episode में हमने सुना की कैसे भरत ने अयोध्या की राज गद्दी नहीं स्वीकारी। उसके बदले में उन्होंने राम, लक्ष्मण और सीता तक पहुँचने के लिए विभिन्न तकनीकों और वास्तुकला की सहायता से वन में सबके जाने का प्रबंध किया। भरत की इन गतिविधियों से यह सिद्ध था कि वह युवा, शक्तिशाली और होनहार थे। वह निष्पक्ष थे और केवल अपना धर्म ही नहीं समझते थे पर प्रजा की भावनाओं को भी ध्यान में रखते थे। वह हर प्रकार से एक योग्य leader या नेता थे। और इसलिए अब ऋषि वशिष्ठ भरत को राजा बनाना चाहते थे। जब उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की तब भरत ने क्या उत्तर दिया आइए जानतें हैं इस episode में।
12/29/20226 minutes, 47 seconds
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भारत ने राम तक पहुँचने की तैयारियाँ किस प्रकार से करी?

रामायण आज के लिए का एक हिस्सा है राम की कहानी सुनना और समझना। दूसरा हिस्सा है 5000 वर्ष पूर्व लिखे गए इस ऐतिहासिक ग्रंथ में बताई गयी जीवन शैली को जानना। इस episode में हम सुनेंगे कि किस प्रकार की तकनीकों और architecture यानी वास्तुकला की सहायता से भरत ने रघुकुल के सदस्यों, अपनी सेना और अयोध्या वासियों के लिए राम, लक्ष्मण और सीता तक पहुँचने का प्रबंध किया।
12/28/20225 minutes, 59 seconds
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अपनी माँ कैकेई की गलतियों को सुधारने के लिए भरत ने क्या कदम उठाए?

कैकेई ने अपने बेटे के लिए राज्य चाहा और उसके लिए रघुकुल ने बहुत बड़ी क़ीमत चुकाई। जब भरत को इस अनहोनी के बारे में पता चला तब उन्होंने अपनी माँ को डाँटा फटकारा, अपने मंत्रियों से मिलकर ये स्पष्ट किया कि वह अपनी माँ के रचाये षड़यंत्र से अज्ञात थे। फिर उन्होंने माँ कौशल्या से क्षमा माँगी। दशरथ का अंतिम संस्कार करने के बाद पीढ़ित भरत अपने राज गुरु वशिष्ठ और मंत्रियों से दुबारा मिले ताकि वह कैकेई की गलतियों को सुधार सकें। कैसे? आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
12/27/20228 minutes, 42 seconds
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भारत को दशरथ के निधन के बारे में किसने बताया?

अयोध्या लौटने पर भारत सबसे पहले अपने पिता के महल गए। उन्हें वहाँ न देखकर वह अपनी माँ, कैकेई के महल गए। अपनी माँ का भवन सुनसान देख भरत का मन और भी विचलित हुआ। उन्होंने घबराते हुए अपनी माँ से सबका हाल चाल पुछा। कैकेई ने भारत को जवाब में क्या कहा? उन्होंने राम, लक्ष्मण और सीता के वनवास जाने की सूचना भरत को कैसे बताई? और किस प्रकार कैकेई ने भरत को दशरथ की मिर्त्यु और उनके उत्तराधिकार के बारे में बताया कि अब भरत ही अयोध्या के राजा बनेंगे? आइए सुनतें है रामायण आज के लिए के इस episode में।
12/26/20227 minutes, 20 seconds
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भरत अयोध्या वापस लौटे

अयोध्या के लिए रवाना होने से पहले, केकय के राजा अश्वपति ने अपने नाती, भरत को उपहार के रूप में सोना की मोहर, हाथी, घोड़े, श्वांग, चांदी के बर्तन और भी बहुत कुछ दिया। भरत ने ये सारे उपहार स्वीकारे पर दशरथ के बारे में देखा सपना उन्हें अभी भी परेशान कर रहा था। वह अपने परिवार - दशरथ, कौशल्या, सुमित्रा, राम, लक्ष्मण, सीता - के लिए चिंतित थे। और यही सब सोचते सोचते वह अपनी सेना के साथ अयोध्या के लिए निकल पढ़े। पर जब भारत अपनी मातृभूमि पहुंचे तो उन्होंने क्या देखा? आइए जानतें हैं इस episode में।
12/23/20226 minutes, 40 seconds
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भरत का बुरा सपना दुर्भाग्य का प्रतीक

अयोध्या में राजा दशरथ के अंतिम संस्कार की तैयारियाँ शुरू हो गयीं थीं। भारत और शत्रुगण को केकय से अयोध्या वापस बुलाने के लिए दूतों को भेजा गया। जिस रात वह दूत केकय की राजधानी गिरिव्रज पहुंचे, उस ही रात भरत को एक बड़ा ही अप्रिय सपना दिखाई दिया। वह सपना क्या था? भरत को कुश करने की लाख कोशिशों के बाद भी वह सपना क्यों नहीं भुला पा रहे थे? और उनके अनुसार यह स्वप्न किस प्रकार की अनहोनी का संकेत था? आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
12/22/20227 minutes, 3 seconds
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दशरथ के अंतिम संस्कार की तैयारियाँ

रघुवंश के राजा दशरथ अपने पुत्र राम का वियोग सेहेन न करने की वजह से अपने प्राण त्याग देतें हैं। शोख की आवाज़ें सुनकर उनकी रानियों को होश आता है। कौशल्या अपने पति का सर अपनी गोद में रखकर रोने लगती हैं और रानी कैकेई को खुलकर कोसतीं हैं। वहीं राज्य के गुरुजन और मंत्री भरत और शत्रुगण के आने तक दशरथ के पार्थिव शरीर को तेल से भरे गरत में रखने का प्रयोजन करते हैं और उन भाइयों को उनके पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए अपने ननिहाल, केकय, से वापस बुलाने का संदेसा भेजतें हैं। इस सबके बीच ऋषि वशिष्ठ अच्छे नेतृत्व की कमी पर क्या सीख देतें हैं आइए जानतें हैं इस episode में।
12/21/20226 minutes, 42 seconds
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दशरथ की मृत्यु कैसे हुई?

बहुत समय से दशरथ राम से बिछड़ने के दुःख में बेचैन थे। उन्हें बार-बार उन बूढ़े और अंधे दाम्पत्य का शाप याद आ रहा था जिनके बेटे को दशरथ ने अनजाने में मारा था। उन्हें ये आभास होने लगा कि अब उनकी मृत्यु दूर नहीं। पूरी रात वह कौशल्या का हाथ पकड़ कर राम को याद करते रहे। अगली सुबह जब रीती-रिवाज अनुसार राजा दशरथ को उठाया गया तब क्या हुआ? सुमित्रा और कौशल्या दशरथ के निधन के समय किस हाल में थे? और राजा के मरने का समाचार पूरी अयोध्या में कैसे फैला आइए सुनते हैं इस episode में।
12/20/20226 minutes, 5 seconds
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श्रवण कुमार को मारने का परिणाम

जिस लड़के की हत्या दशरथ के हाथों अनजाने में हुई, उसे वाल्मीकि रामायण में श्रवण के नाम से नहीं जाना जाता पर कहानी लगभग वही है। रामायण आज के लिए के इस episode में आइए जानतें हैं कि जब दशरथ पानी ले कर उस लड़के के माता-पिता तक पहुंचे तब उन्होंने अपने बेटे की मृत्यु का दुःख कैसे मनाया? उन्होंने दशरथ को क्या शाप दिया? और शापित होने के बाद भी दशरथ ने माता-पिता और बेटे को कैसे मिलाया?
12/19/20227 minutes, 22 seconds
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दशरथ के कौन से कर्म की वजह से उन्होंने पुत्र से दूर होने का श्राप मिला

इस एपिसोड में सुनिए कि कैसे कौशल्या को राम के वन जाने पर क्रोध आया और उन्होंने गुस्से में आकर राजा दशरथ को क्या-क्या भला-बुरा सुनाया। साथ ही जाने राजा दशरथ के कौन से कर्म की वजह से उन्होंने पुत्र से दूर होने का श्राप मिला?
12/15/20229 minutes, 52 seconds
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श्री राम ने सुमंत्र के हाथ क्या सन्देश भेजा?

श्री राम के इंतज़ार में बैठी अयोध्या तब और मायूस हो गयी जब उन्होंने सुमंत्र को अकेले बापस लौटते हुए देखा। राम से मिल कर क्या सन्देश लाये सुमंत्र और राम की परिस्थिति को उन्होंने कैसे बखान किया अयोध्या में, जानिये इस एपिसोड में।
12/14/20227 minutes, 52 seconds
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ऋषि भारद्वाज से राम की भेंट हुई

गंगा यमुना के संगम तट पर कई कटी हुए पेड़ की शाखाएं देखीं जो आम तौर पर यज्ञ के लिए इस्तेमाल होता थाl यह देख कर लक्ष्मण ने अनुमान लगाया कि वह लोग ऋषि भारद्वाज के आश्रम के पास थे। ऋषि भारद्वाज से मिलने पर, राम ने एक-एक करके अपना, लक्ष्मण और सीता का परिचय दिया। फिर उन्होंने ऐसी जगह के बारे में पहुचा, जहां वह 14 वर्षों के लिए रह कर सकें। ऋषि भारद्वाज ने राम को चित्रकूट जाने की सलाह क्यूँ दी और उन्हें वहाँ जाने का रास्ता कैसे समझाया? आइए सुनते हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
12/13/20228 minutes, 42 seconds
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राम की आंखों में आसूं क्यों थे?

सुमंत्र अयोध्या वापस चले गए थे। यहां राम, निषादराज गुहा के क्षेत्र में नहीं रहना चाहते थे क्योंकि उनका मानना था कि यह वनवास के नियमों के विपरीत होगा। राम, लक्ष्मण और सीता गंगा के तट पर थे। उन्होंने नाव से रास्ता पार करने का सोचा। नदी के बीच सीता ने गंगा से प्रार्थना करने की इच्छा जताई। उन्होंने गंगा से क्या मांगा? दक्षिण तट पर उतरकर जब वह वन में गए, और विश्राम करने के लिए एक वृक्ष के नीचे बैठे, तब लक्ष्मण के साथ बात चीत के दौरान राम भावुक क्यूं हो गए? आइए जानते हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
12/12/20228 minutes, 40 seconds
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वनवास का दूसरा दिन, आखिर श्री राम ने सुमंत्र को क्या समझाया ?

निषादराज अच्छी नाव का प्रबंध कर रहे थे मगर राम, सीता और लक्ष्मण अपनी आगे की यात्रा पैदल चल कर जाना चाहते थे। सुमंत्र ने राम को आग्रह किया की वह भी उनके साथ वन में रहना चाहते हैं। परंतु राम ने इंकार कर दिया। वह चाहते थे की सुमंत्र दशरथ के पास वापिस लौट जाएं। राम को ऐसा क्यों लगा की सुमंत्र का अयोध्या जाना ही उचित होगा? इसके अलावा राम ने सुमंत्र द्वारा भरत के लिए क्या संदेशा भेजा? यह जानने के लिए आईए सुनते हैं इस episode में।
12/9/20225 minutes, 25 seconds
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वनवास की पहली रात, लक्ष्मण क्यों नही सोए?

कौशल प्रांत बहुत समृद्ध था। वहां किसी भी प्रकार की कमी नहीं थी। उस रात राम, लक्ष्मण और सीता श्रृंगवेरपुर नाम की जगह पर रुक गए, जो आज के दिन में उत्तर प्रदेश के शहर संगरूर नाम से जाना जाता है। यह इलाका निषादराज गुहा का था और वह राम के मित्र थे। निषादराज ने सबको विश्राम करने के लिए आमंत्रित किया परन्तु क्यों लक्ष्मण ने विश्राम करने से इंकार कर दिया? वह पूरी रात पहरा देने के लिए बाहर क्यों खड़े रहे? आइए जानते है रामायण आज के लिए के इस Episode में।
12/8/20227 minutes, 8 seconds
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क्या हुआ जब अयोध्या वासी राम, सीता और लक्ष्मण के साथ तमसा नदी तक पहुँचे?

एक तरफ़ दशरथ के महल में मायूसी छाई हुई थी, तो दूसरी तरफ़ अयोध्या वासी सुमंत्र के रथ - जिसपर राम, लक्ष्मण और सीता सवार थे - उसका पीछा ही नहीं छोड़ रहे थे। राम ने उन्हें बहुत समझाया, आश्वासन दिलाया कि भरत उनका ध्यान रखेंगे पर उनकी प्रजा ने एक न मानी। देखते देखते सब तमसा नदी के तट पर पहुँचे। तमसा वही नहीं है जहाँ ऋषि वाल्मीकि का आश्रम था जिसमें बैठकर उन्होंने राम का छंद लिखा था। रामायण आज के लिए के इस episode में आइए जानतें हैं, राम ने अयोध्या वासियों को क्यों और कैसे अपनी चतुराई से पीछे छोड़ा और वन की ओर निकल पढ़े।
12/7/20227 minutes, 2 seconds
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दशरथ और कौशल्या को सुमित्रा ने कैसे संभाला?

राम के अयोध्या छोड़ने पर दशरथ बौखला से गए थे। वह अपने आप से बातें करने लगे। राजा दशरथ अपनी आँखों से रौशनी जाने की शिकायत करने लगे। और अपना दम घुटने की शिकायत करते करते, वह कैकेई का भवन छोड़कर, कौशल्या के भवन चले गए। कौशल्या भी अपने बेटे की याद में टूट गयीं थीं। वह कैकेई को खुलकर कोस रहीं थीं और राम-सीता की पीढ़ा के लिए अपने पिछले जन्म के कर्मों को ज़िम्मेदार मान रहीं थीं। ऐसे में सिर्फ लक्ष्मण की माँ, सुमित्रा ही सुलझी हुईं, समझदार लग रहीं थीं। इस episode में, आइए सुनतें हैं, कैसे रानी सुमित्रा ने अपने पति, दशरथ और सपत्नी, कौशल्या को संभाला?
12/6/20226 minutes, 13 seconds
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राम, सीता और लक्ष्मण ने अयोध्या छोड़ दी

सुमंत्र अब राम, लक्ष्मण और सीता के साथ कुल्हाड़ी, टोकरी और सीता का श्रीधन लेकर रथ पर सवार हो गए। सारे अयोध्या वासी अपनी उलझन और उदासी में रथ के पीछे भागने लगे। दशरथ भी अपने आपको रोक न पाए। यह देख राम ने सुमंत्र से प्रार्थना की, कि वह रथ भगाकर अयोध्या से बहार ले जाएँ। उन्होंने ऐसा क्यों किया? पीछे मुड़कर भी नहीं देखा? उनके जाने से पशु-पक्षी और प्रकृति पर क्या असर पढ़ा? आइए जानतें है रामायण आज के लिए के इस epsiode में।
12/5/20226 minutes, 50 seconds
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राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास जाने का दिन आ ही गया

जो राम अयोध्या के सिंघासन पर भैठने वाले थे, वह छाल के कपड़े पहनकर अपनी पत्नी के साथ वनवास जा रहे थे। अयोध्या वासियों, दशरथ, कौशल्या सभी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा की ऐसा दिन आएगा। राम के जाने के लिए सोने का रथ और सुंदर घोड़े मँगवाए गए। सीता के साथ 14 वर्षों तक पूरा पढ़े, इतने गहनें कपड़े भेजे गए। यह दृश्य किसी movie के scene की तरह था, किसी बारात की तरह लग रहा था, लेकिन किसी के चेहरे पर खुशी ना थी। ऐसे में कौशल्या ने अपने बेटे और बहु को क्या सलाह दी? राम ने उनसे, अपने पिता दशरथ को लेकर, क्या अनुरोध किया? लक्ष्मण और सुमित्रा के बीच ऐसी क्या बातचीत हुई जिसका मान रखने के लिए लक्ष्मण आज भी जाने जातें हैं? आइए सुनते हैं, इस episode में।
12/2/20226 minutes, 2 seconds
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सीता छाल के कपड़े नहीं पहनेगी!

जब दशरथ ने राम की सुरक्षा और सुविधा के लिए सेना और धन भेजने की बात करी तब कैकेई और भी नाराज़ हो गयी। वह राम की दुष्ट राजकुमार असमंजस से तुलना करने लगी। तब राम ने एक बहुत समझदारी की बात करी। उन्होंने कुल्हाड़ी, टोकरी और छाल के वस्त्र मँगवाए - वह चीज़ें जो केवल वन में काम आतीं हैं। लेकिन सीता ने जब राम की मद्दत से वह वस्त्र पहने तब उन्हें तकलीफ़ भी हुई और शर्म भी आई। इस अपमान के विरोध में सारी सभा और ऋषि विश्वामित्र ने कैकेई को कैसे धिक्कारा? और फिर भी राम वनवास जाने के लिए दृढ़ क्यों थे? चलिए पता लगतें हैं इस episode में।
12/1/20226 minutes, 14 seconds
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सुमंत्र ने कैकेयी को कैसे डांटा?

राम, लक्ष्मण और सीता को विदा करने के लिए, अयोध्या नरेश दशरथ और उनकी 350 पत्नियाँ सभा में उपस्थित हुए। दशरथ के मित्र और सार्थी सुमंत्र भी वह मौजूद थे, जो अब अपने अंदर के उबाल को और रोक नहीं पाए। उन्होंने वह सारी बातें रानी कैकेई से कहीं जो दशरथ नहीं कहे पाए। वह बातें क्या थीं? कैकेई ने जवाब में क्या कहा? दशरथ ने सुमंत्र को ऐसा क्या आदेश दिया जिसकी वजह से कैकेई फिर नाराज़ हो गयी? आए सुनतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
11/30/20226 minutes, 43 seconds
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राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास जाने का समय आ गया।

दशरथ की अयोध्या का ऐश्वर्य अतुल्य था। ऐसा ऐश्वर्य जिनके पास हो, वह केवल अपने पिता की एक आज्ञा पर, सब छोड़कर, वन में रहे, यह आसान नहीं था। पर इतना ही नहीं, ऐसी परिस्थिति में व्यवहारात्मक यानि practical होकर, आने वाले समय की अचूक यानि foolproof तैयारियाँ करना, यही राम के गुण थे। सारा दान धर्म करने के बाद जब राम, लक्ष्मण और सीता अपने पिता से मिलने निकले तो प्रजा ने क्या कहा? दशरथ, एक राजा और एक पिता होने के नाते किस हाल में थे? वह राम को कैसे विदा करना चाहते थे? आइए इस दुखद घटना का अनुभव करें इस episode में।
11/29/20229 minutes, 21 seconds
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लक्ष्मण ने राम को अपने साथ वन ले जाने के लिए कैसे मनाया?

वैसे तो राम की हर बात उनकी पत्नी सीता मानती थीं। लेकिन अपने पति से अलग होकर रहना उन्हें गवारा ही नहीं था। आख़िर राम सीता को अपने साथ वन लेजाने के लिए तैयार हो ही गए। अब लक्ष्मण भी राम और सीता के साथ जाना चाहते थे। पर क्यों? और राम की क्या आशंकाएँ थीं जिसकी वजह से वह लक्ष्मण का अयोध्या में सह-परिवार ठहरना ज़रूरी समझते थे? फिर भी, लक्ष्मण ने राम को अपने साथ वन लेजाने के लिए कैसे मनाया? और वनवास जाने से पहले उन्होंने अपनी माँ कौशल्या और अपने घरों की सुरक्षा का प्रबंध कैसे किया?? आए जानतें हैं इस episode में।
11/28/20226 minutes, 8 seconds
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सीता ने राम को अपने साथ वन ले जाने के लिए कैसे मनाया?

पिछले episode में हमने सुना कि कैसे वनवास की बात को लेकर सीता तुरंत राम की भावनाओं को समझ गयीं। राम ने भी सीता को देख अपना मन हल्का किया। सच जानने पर सीता ने राम के साथ वन जाने की ज़िद्द करी। पर राम को लगा कि वह वन की कठिनाइयाँ नहीं सहन कर पाएंगी इस्लिये उन्होनें सीता को मना कर दिया। पर सीता ने हार न मानी। उन्होंने राम को मानाने के लिए हर तरह के उदाहरण दिए, तरक़ीब लगाई। सीता का ये रूप देखकर राम ने क्या कहा? क्या वह सीता को अपने साथ वन लेजाने के लिए तैयार हो गए? जानिए रामायण आज के लिए के इस episode में।
11/25/20226 minutes, 36 seconds
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वनवास जाने से पहले राम और सीता का संवाद

जब राम सीता से मिलने निकले तब वह अपनी भावनाओं को छुपा नहीं पाए। सीता भी कैकेई के मांगे हुए वचन से उतनी ही अनजान थीं जितनी माँ कौशल्या। राम का उतरा चेहरा देख, सीता ने कारण पुछा। जवाब में राम ने अपने पिता दशरथ और माँ कैकेई के बारे में क्या बताया? उन्होंने कैसे अपनी पत्नी सीता को सबका आदर करने की सलाह दी तथा भरत और शत्रुघ्न से प्रेम से बर्ताव करने का अनुरोध किया? यह सब सुनकर सीता ने कैसे, बिना कोई शिकायत, राम का साथ देने की बात करी? आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
11/24/20225 minutes, 52 seconds
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कौशल्या ने राम को किस प्रकार विदा किया?

इतना तो अब स्पष्ट था कि राम अपने पिता, दशरथ की बेबसी समझ सकते थे। और उनका वचन निभाने के लिए राम ने वनवास स्वीकारा। आखिर राम अपना धर्म नहीं निभाते तो उनके परिवार और कुल की क्या इज़्ज़त रहे जाती? जब कौशल्या को भी इस बात का अहसास हुआ तब उन्होंने राम को आशीर्वाद देकर विधि विधान के साथ कैसे विदा किया? और क्या हुआ जब राम अपनी माँ से मिलकर, सीता से मिलने गए? आइए सुनते हैं इस episode में।
11/23/20226 minutes
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राम ने कौशल्या और लक्ष्मण को अपना धर्म निभाने के लिए कैसे मनाया?

पिछले episode में हमने सुना कि कैसे राम को वनवास मिले की ख़बर सुनकर कौशल्या अपना नियंत्रण खो बैठीं और लक्ष्मण अपना आपा। अपने स्वार्थ के लिए कौशल्या राम को जाने नहीं दे रहीं थीं और जब राम न मानें तो उन्होंने राम के साथ चलने की ज़िद्द की। वहीं दूसरी ओर लक्ष्मण आग-बबूला हो कर अपने पिता दशरथ को मारने की बात कर रहे थे। पर राम जानते थे कि बिना कौशल्या के दशरथ टूट जायेंगे और लक्ष्मण का गुस्सा परिस्थिति को बदतर बना देगा। फिर राम ने इन दोनों को अपना धर्म निभाने के लिए और अपने वनवास जाने के लिए कैसे मनाया? आइए सुनते हैं इस episode में।
11/22/20227 minutes, 21 seconds
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क्या हुआ जब राम ने अपने वनवास मिलने की ख़बर कौशल्या को दी?

जब राम और लक्ष्मण कौशल्या से मिलने उनके भवन गए तब वह राम को देख बहुत खुश हुई कि बस कुछ समय में उनका बीटा राम अयोध्या का राजा बनेगा। वह इस बात से अनजान थीं कि कैकेई की वजह से राम को वनवास मिला है। ताकि कौशल्या को कोई ठेस न पहुंचे, राम ने अपनी माँ को बड़े प्रेम से सारी कहानी बताई। बिना किसी द्वेष के उन्होंने बताया कि वह ऋषियों की तरह 14 साल वन में रहेंगे और भरत उनकी जगह राजा बनेगा। पर क्या कौशल्या और लक्ष्मण शांति से, संयम से इस बात तो स्वीकार कर पाए? आए पता लगतें है रामायण आज के लिए के इस episode में।
11/21/20226 minutes, 41 seconds
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राम ने कैसे 14 साल वनवास जाने की बात स्वीकारी?

राम ने बिना हिचकिचाहट वन में 14 साल रहने की बात तो स्वीकारी पर साथ ही उन्होंने अपने पिता दशरथ से क्या प्रश्न पूछे? कैकई क्यों चाहती की राम जल्द ही वन को जाएँ? दशरथ ने कैसे इस बात पर अपनी नाराज़गी जताई? इसके बावजूद, राम भावुक हुए बिना, अपनी पत्नी सीता और माँ कौशल्या से कैसे अलविदा कहने गए? और इस घटना के आधार पर वाल्मीकि जी राम को एक योगी क्यों बुलाते थे? आइए सुनें रामायण आज के लिए के इस episode में।
11/18/20226 minutes, 38 seconds
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राम को वनवास जाने की ख़बर कैसे मिली?

राम और लक्ष्मण, सुमंत्र के साथ दशरथ के महल पहुँचे। पर जब दशरथ ने राम को आशीर्वाद नहीं दिया तब वह सहम गए। राम को लगा की उनसे भूल हो गयी है, इसलिए उन्होंने अपने पिता से तरह-तरह के सवाल पूछे। पर दशरथ चुप रहे। उनकी चुप्पी देख, कैकई ने राम को अपनी इच्छा बताई कि भरत राजा बनेगा और उसके बदले राम को मिलेगा 14 वर्षों का वनवास। बहुत दुःख होता है, जब माता-पिता अपने बच्चों के प्रति कठोरता दिखते हैं। लेकिन ये बात दिल दहलानेवाली थी। कैसे? आइए जानतें हैं इस episode में।
11/17/20226 minutes, 47 seconds
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कैकई ने दशरथ को अपने वादे निभाने के लिए कैसे मनाया?

भरत राजा बने, ये दशरथ को मंज़ूर था। पर राम को वह किस बिनाह पर वनवास भेजें? इस बात से समझोता करना, उनके लिए एक पिता और नैतिकतावादी यानी moralist, दोनों नज़रियों से कठिन था। पर कैकई ने एक न सुनी। वह उन राजाओं के उदाहरण देतीं गयीं जिन्होंने हर क़ीमत पर अपने धर्म का पालन किया। कैकई और दशरथ की इस टकराव के बीच राम के राज्याभिषेक के तैयारियाँ लगभग पूरी हो गयी थी। आगे क्या हुआ, आइए सुनें रामायण आज के लिए के इस episode में।
11/16/20228 minutes, 32 seconds
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कैकेई ने राम के लिए 14 वर्ष का वनवास माँगा

कैकई अब मंथरा के साथ बनाया जाल बिछाने जा रहीं थीं। अपने कोप भवन में वह बाल बिखेरे, फटे कपड़ों में, ज़मीन पर लेटे, दशरथ का इंतेज़ार कर रहीं थीं। दशरथ ने जब उन्हें इस हाल में पाया तो वह हक्का-बक्का रहे गए। इस बात का कैकई ने कैसे फ़ायदा उठाया? उन्होंने अपने पति से भरत के लिए राज्य और राम के लिए वनवास कैसे माँगा? इस बात का दशरथ और कैकई के रिश्ते पर क्या असर पढ़ा? और सिर्फ इसलिए कि राम वनवास के लिए नियत थे, क्या कैकई के माँगे वरदान उचित थे? आइए सुनतें हैं इस episode में।
11/15/20229 minutes, 46 seconds
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दशरथ ने कैकेई के कब और क्यों दिए 2 वरदान?

पिछले episode में हमने सुना कि कैसे मंथरा ने कैकेई के मन में राम के ख़िलाफ़ ज़हर घोला और भरत के लिए एक अतर्कसंगत डर यानी irrational fear उत्पन किया। पर दशरथ ने राम को राजा बनाने का फ़ैसला ले ही लिया था। कैकेई क्या कर सकतीं थीं? तब मंथरा ने उन्हें तिमिध्वज के खिलाफ लड़े युद्ध की याद दिलाई। कि कैसे युवा क्षत्राणी कैकेई ने दशरथ की जान बचाई जिसके बदले में राजा ने उन्हें दो वरदान दिए। यही नहीं, वह वरदान क्या होंगे और उन्हें कैसे माँगना है, दासी मंथरा ने इस बात की भी योजना बनाई। आइए जानतें हैं वह योजना क्या थी, रामायण आज के लिए के इस episode में।
11/14/20227 minutes, 56 seconds
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मंथरा ने राम की क़िस्मत कैसे बदली?

कुंभजा यानी hunchbacked मंथरा (जैसे वह वलिमिक रामायण में जानी जातीं थीं) भागी-भागी कैकेई के पास पहुँची। उन्होंने कैकेई को बेरूखी से उठाया और राम के राज्याभिषेक के बारे में बताया। जो मंथरा अपने आप को कैकेई की शुभचिंतक मानती थी, उन्हीं ने धीरे-धीरे कैकई के मन में राम के प्रति विष भरदिया। पर इतनी बड़ी क्षत्राणी होने के बावजूद, कैकई, अनपे पुत्र-प्रेम में अंधी होकर, मंथरा की छोटी सोच से कैसे प्रभावित हुईं? आइए सुनतें हैं इस episode में।
11/11/20228 minutes, 1 second
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मंथरा कौन थीं?

राम और सीता ने राम के राजा बनने की तैयारी कैसे करी? उन्हें राज्याभिषेक वाले दिन कैसे उठाया गया? सारे ब्राह्मण अयोध्या में क्यों मौजूद थे? राज्य की सड़कों को कैसे सजाया गया? सारी प्रजा किस तरह से उत्तेजित थी? वह राम के राजा बनने की खुशी में क्या कह रही थी? और कैकई की दासी, मंथरा को इस बात का कैसे पता चला? आये इस जीवंत दृश्य का अनुभव करने के लिए सुनते हैं रामायण आज के लिए के इस episode को।
11/10/20225 minutes, 50 seconds
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राम के राज्याभिषेक की तैयारी

दशरथ ने जब राम को उनके राज्याभिषेक के बारे में बताया तब उन्होंने अपने बेटे के साथ ऐसी कौनसी राय बाँटीं, जिसे सुनकर आपको भी फ़ायदा हो सकता है? वह राम को भरत (जो अपने ननिहाल गए हुए थे) के आने से पहले राजा बनाने के लिए उतावले क्यों थे? दशरथ की घबराहट को शांत करने के लिए ऋषि वशिष्ठ, राम और सीता ने क्या कदम उठए? जब राम ने अपने भाई, लक्ष्मण और अपनी माँ, कौशल्या को अपने राज्याभिषेक के बारे में बताया तब उन दोनों ने क्या महसूस किया? और इन सबकी भावनाओं, उनके अनुभवों से हम क्या सीख सकतें हैं? आये जानतें हैं इस episode में।
11/9/20228 minutes, 49 seconds
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राम किस प्रकार के लीडर थे?

राम ने परशुराम से युद्ध करने की चुनौती स्वीकार ली। उन्होंने परशुराम के हाथ से विश्वकर्मा का बनाया विष्णु-धनुष छीना और उसपे प्रत्यंचा चढ़ादी। यह देखकर परशुराम को यक़ीन हो गया की राम वाक़ई में विष्णु के अवतार हैं और वह वहाँ से चले गए। फिर राजा दशरथ जब अपने बेटों और बहुओं के साथ अयोध्या पहुँचे तो बड़े वैभव से उनका स्वागत किया गया। एक वर्ष तक सभी राजकुमार अपनी राजकुमारियों के साथ अपने विवाहित जीवन में व्यस्त हो गए। साथ ही राम और लक्ष्मण राज्य की भागदौड़ को समझने और संभालने लगे। पर राम में ऐसे कौनसे गुण थे जो उन्हें एक अच्छा leader बनाते थे, अयोध्या का राजा बनने के योग्य बनाते थे? चलिए सुनते हैं इस episode में।
11/8/20229 minutes, 47 seconds
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राम और परशुराम का युद्ध क्यों हुआ?

दोनों कुलों के राजगुरुओं की देख-रेख में एक यज्ञ कुंडा बनाया गया, जहाँ चरों राजकुमारों यानी राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का चारों राजकुमारियों अर्थात सीता, उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति से विवाह हुआ। पर शादी के बाद उन सभी ने अपने बड़ों की प्रदक्षिणा क्यों करी? विदाई के समय राजा दशरथ और उनके परिवार को किस प्रकार के अजीब संकेतों का अनुभव हुआ? परशुराम कौन थे और उन्होंने राम को युद्ध के लिए क्यों ललकारा? सुनें रामायण आज के लिए के इस episode में।
11/7/20228 minutes, 19 seconds
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राम और सीता का विवाह।

राम ने जब शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़कर उसे तोड़ा, तब राजा जनक ने राजा दशरथ को राम और सीता का विवाह संम्पन्न करने के लिए मिथिला आने का न्योता दिया। कैसे दशरथ सारे बारातियों को लेकर धूम-धाम से मिथिला पहुँचे? कैसे उन्होंने जनक को, एक वधू के पिता होते हुए भी सम्मानित किया? कैसे इक्ष्वाकु कुल के राजगुरु, वशिष्ठ और वैदेही कुल के राजगुरु शतानन्द ने दोनों परिवारों की मिलनी करवाई? और कैसे विवाह का मुहूर्त निकालते-निकालते राम के बाकी भाइयों का भी विवाह तय हुआ? आए सुनते हैं इस episode में।
11/4/20227 minutes, 26 seconds
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क्या वाक़ई में सीता का स्वयंवर हुआ था?

पिछले episode में, राम और लक्ष्मा के साथ, मिथिला के राजगुरु शतानन्द, हमें ऋषि विश्वामित्र का जीवन परिचय दे रहे थे। वह आगे बताते हैं कि कैसे विश्वामित्र ने राजा त्रिशंकु की स्वर्ग जाने में मद्दत करी? कि कैसे उन्होंने ऋषि सुनःशेप को मानव बलिदान यानी human sacrifice करने से बचाया? और वह अप्सरा मेनका की वजह से अपनी साधना से कैसे विचलित होने के बाद भी अपनी तपस्या के कारण ब्रह्मर्षि बने? यह सब सुनकर राजा जनक, ऋषि विश्वामित्र, राम और लक्ष्मण को अपनी बेटी सीता का परिचय देतें हैं और राम को शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करतें है। बदले में राम क्या करते हैं? क्या वाक़ई में सीता का स्वयंवर हुआ था? आए सुनते हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
11/3/202210 minutes, 12 seconds
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विश्वामित्र राजा से ऋषि कैसे बने?

जब राजा विश्वामित्र ने ऋषि वशिष्ठ से उनकी इच्छा-पूर्ती गाय, सबला की मांग की तब ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें इंकार कर दिया। इस नामंजूरी के चलते विश्वामित्र ने सबला को ज़बरदस्ती अपने साथ ले जाने की कोशिश की। सबला ने अपना बचाव कैसे किया? दो व्यक्तियों के बीच की अनबन युद्ध में कैसे परिवर्तित हुई? इस युद्ध में विश्वामित्र का कुल कैसे नष्ट हुआ? ये सब देख कर विश्वामित्र महादेव की तपस्या करने हिमालय क्यों गए? साथ ही इक्ष्वाकु कुल के राजा त्रिशंकु को ऋषि वषिष्ठ ने क्यों शाप दिया? और इन दोनों कहानियों को सुनकर हमें सद्बुद्धि की आशा क्यों रखनी चाहिए? आए जानते हैं इस episode में।
11/2/20228 minutes, 53 seconds
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विश्वामित्र और विशिष्ट की कहानी

विश्वामित्र पहले एक राजा हुआ करते थे। जब वह ऋषि वशिष्ठ के आश्रम पहुँचे तब ऋषि वशिष्ठ ने उनके और उनकी पूरी अक्षौहिणी यानी battalion के लिए एक भोजन आयोजित करने की इच्छा जताई। पर साधारण परिस्थितयों में रहने वाले ऋषि 21870 हाथी तथा सारथी, 65610 घोड़े तथा घुड़सवार और 109350 पैदल सिपाहियों के भोजन की व्यवस्था कैसे कर सकते थे? यही नहीं, उन्होंने आयुर्वेद अनुसार 6 प्रकार के पकवान - जो मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा और क्षारविशिष्ट यानी alkaline स्वाद उत्पन्न कर सकते थे - कैसे प्रस्तुत किया? और इस प्रकार की प्रस्तुति देख कर राजा विश्वामित्र ने ऋषि वशिष्ठ से क्या माँगा? यह जानने के लिए सुने इस episode को।
11/1/20226 minutes, 27 seconds
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क्या हुआ, जब राम, लक्ष्मण और विश्वामित्र, मिथिला पहुँचे?

जिस समय राम, लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र मिथिला पहुँचे, तब राजा जनक ने एक बहुत बड़ा आयोजन यानी celebration रखा हुआ था जिसमें दूर-दूर से ब्राह्मण, scholars आए हुए थे। जब राजा जनक को विश्वामित्र के आने की ख़बर मिली तब उनका स्वागत करने के लिए वह खुद, अपने राज गुरु शतानन्द के साथ गए। ऋषि विश्वामित्र का सम्मान करने के बाद उन्होंने राम और लक्ष्मण के बारे में पुछा। जवाब में विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण का परिचय कैसे किया? अहल्या के शाप-मुक्त होने की ख़बर सुनकर शतानन्द क्यों खुश हुए और उन्होंने राम-लक्ष्मण को उनके गुरु विश्वामित्र के बारे में क्या बताया, सुनें इस episode में।
10/31/20227 minutes, 37 seconds
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कौन थीं अहल्या, और राम के हाथों कैसे हुआ उनका उद्धार?

धीरे-धीरे राम, लक्ष्मण और ऋषि विश्वामित्र मिथिला की ओर बढ़ रहे थे कि अपनी राह पर उन्हें ऋषि गौतम और उनकी पत्नी अहल्या का आश्रम मिला। तब विश्वामित्र ने उन्हें अहल्या की कहानी सुनाई कि क्यूँ और कैसे ऋषि गौतम की तपस्या को भंग करने के लिए देवों के देव, इंद्र ने चाल चली? उन्होंने बताया कि कैसे अहल्या इस चाल का हिस्सा बानी और जब ऋषि गौतम को इस बात की भनक पढ़ी तो कैसे उन्होंने इंद्र और अहल्या को श्राप दिया? अब राम ने उन दोनों को अपने श्राप से कैसे मुक्त किया, यह जानने के लिए सुने रामायण आज के लिए के इस episode को।
10/28/20226 minutes, 37 seconds
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देव-दानव के बीच हुए समुद्र मंथन में क्या-क्या निकला?

अदिति के पुत्र देव और दिति के पुत्र दानव अमर होना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया। मेरु पर्वत बने मथनी और रस्सी बने साँपों के देवता, वासुकि। पर क्षीरसागर का मंथन करते करते जब मेरु फिसलने लगे तब भगवन विष्णु ने कुर्म अवतार लेकर मेरु पर्वत को नीचे से सहारा दिया। तब शुरू हुआ समुद्र मंथन। कई साल बीते और बहुत सारी अद्भुत चीज़ें निकली। वह चीज़ें क्या थी? उन्हें कैसे अपनाया गया? दानवों को असुर क्यों बुलाया जाता है? और दिति देवों के राजा यानी इंद्रा से क्यों बदला लेना चाहती थीं? सुनिए रामायण आज के लिए के इस episode में।
10/27/20225 minutes, 36 seconds
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अब शुरू हुई दिति और अदिति की कहानी।

भगीरथ की मेहनत से गंगा धरती पर आई और सगर के 60,000 पुत्रों को मुक्ति मिली। यह कहनी का अंत आते-आते, राम, लक्ष्मण और विश्वामित्र गंगा नदी के एक और तट पर पहुंचे, जहाँ विशाला का शहर बसा था। यहाँ ऋषि विश्वामित्र, जो ज्ञान का भंडार थे और नैतिक शिक्षा ज़्यादातर कथन के द्वारा प्रदान करते थे, उन्होंने अब एक और कहानी बतानी शुरू करी। सतयुग में ऋषि कश्यप - जिन्हें सप्त ऋषि यानी Ursa Major भी कहा जाता है - उनकी दो बेटियाँ थी, दिति और अदिति। ये प्रजापति दक्ष की पत्नियाँ थीं। इन दोनों के बेटों के बीच हुआ समुद्र मंथन। पर कैसे, आये जानतें हैं इस episode में।
10/26/20225 minutes, 54 seconds
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गंगा धरती पर कैसे आई?

पिछले episode में हमने सुना कि भगीरथ ने ब्रम्हदेव को प्रसन्न किया और गंगा को धरती पर लाने की तैयारियाँ शुरू हुई। लेकिन केवल बड़ा लक्ष्य हासिल करना ही काफ़ी नहीं। उसके प्रभाव को बनाए रखना ही सफलता का प्रतीक होता है। तो फिर सवाल ये उठता है कि जो गंगा अंतरिक्ष में आकाशगंगा अर्थात milky way बन कर बह रही थी, जिसके भयंकर प्रवाह से पूरी धरती डूब सकती थी, उसे पृथ्वी पर कैसे उतरा जाये? तब ब्रह्मदेव ने भगीरथ से कहा की इस काम में सिर्फ़ भोलेनाथ ही तुम्हारी मदत कर सकतें हैं। पर कैसे? आये जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में।
10/25/20227 minutes, 40 seconds
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गंगा को धरती पर क्यों लाया गया?

कई सालों तक, जब राजा सगर को अपने 60,000 पुत्रों और अश्वमेध घोड़े की कोई सूचना नहीं मिली तब उन्होंने अपने पोते, अंशुमान को उन सबको ढूंढ निकालने का आदेश दिया। सारे सुरागों की जाँच-परताल करने के बाद जब अंशुमान उस जगह पहुंचे जहाँ ऋषि कपिल ने उनके चाचाओं को भस्म किया था, तब उन्होंने अपने पूर्वजों को तर्पण या पानी देना चाहा। पर उन्हें वहाँ पानी का कोई स्त्रोत नहीं मिला। तब ब्रह्मदेव ने उन्हें गंगा को धरती पर लाने की सलाह दी। लेकिन जीवन बर तप करने के बावजूद उन्हें धरती पर गंगा लाने का कोई उपाय नहीं मिला। पीढ़ियों बाद भगीरथ ने इस काम को पूरा किया। पर कैसे, आये जानतें हैं इस episode में।
10/24/20227 minutes, 18 seconds
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राम के पूर्वज, राजा सगर की कहानी

राम के पूर्वज, सगर, इक्ष्वाकु कुल के जाने माने राजा थे। उनकी दो पत्नियाँ थीं - केशीनी और सुमति। राजा सगर को वरदान था कि उनकी एक पत्नी को ऐसा बेटा होगा जो इक्ष्वाकु कुल का वंश आगे बढ़ाएगा और दूसरी पत्नी को 60,000 पुत्र होंगे जो वीर और बलशाली तो होंगे पर वंश को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे। और वही हुआ। एक पत्नी ने जन्म दिया असमंजस को जिनसे जना अंशुमन। पर दूसरी पत्नी के 60,000 पुत्रों की क़िस्मत उन्हें धरती के innermost core तथा ऋषि कपिल तक कैसे ले गयी? जानने के लिए सुनिए रामायण आज के लिए के इस episode को।
10/21/20226 minutes, 21 seconds
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गंगा नदी का राम से क्या संभंध है?

राम और लक्ष्मा, कुछ मायनों में अभी भी बच्चे थे। वह 15 - 16 वर्ष के ही तो थे। उन्हें अपने गुरु विश्वामित्र की कहानियाँ सुनने में बड़ा मज़ा आता था। जब उन भाइयों ने गंगा के बारे में पूछा तो विश्वामित्र ने बताया कि गंगा हिमालय की पुत्री थी, कि उनकी बहिन उमा या पार्वती, जो महादेव यानी शिव की पत्नी थी, और गंगा की माँ मेना, मेरु पर्वत की बेटी थीं। पर गंगा को त्रिपथगा को क्यों बुलाया जाता है? ऐसा क्यों कहा जाता है कि गंगा मनुष्य के पाप, उनके बुरे कर्म धो सकती है? और उनकी कहनी राम के पूर्वजों से कैसे जुड़ी है? जानने के लिए सुनिए रामायण आज के लिए के इस episode को।
10/20/20226 minutes, 30 seconds
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सिद्धाश्रम में राम ने मारीच और सुबाहु को कैसे हराया?

सिद्धाश्रम पहले विष्णु के अवतार वामन का आश्रम था और अब विश्वामित्र वहाँ रहते थे। वहीं उन्हें राम से मिलने का अंतर्ज्ञान मने intuition भी हुई। इस मायने से सिद्धाश्रम उतना ही राम का था, जितना की वह ऋषि विश्वामित्र का था। माना जाता था कि इस आश्रम में किया हुआ कोई भी काम विफल नहीं जाता था। पर मारीच और सुभाहु, इन दोनों राक्षसों ने यहाँ भी ऋषियों की नाक में दम करे रखा हुआ था। इस episode में आइए पता लगतें हैं कि कैसे राम और लक्ष्मा ने उन्हें हराया, और उसके बाद वह तीनों कहाँ जाने के लिए तैयार हुए?
10/19/20226 minutes, 28 seconds
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राम को पुरुषोत्तम क्यों कहते हैं?

राम विष्णु के अवतार थे, विद्वान थे, अपराजेय या invincible थे। ऐसी स्थिति में कोई भी मनुष्य घमंडी बन सकता है। उसमें एक superiority complex आ सकता है। लेकिन अय्तंत शक्ति का होना भी एक बड़ी ज़िम्मेदारी का काम है। वह कहते है ना - With great power comes great responsibility - शायद Spiderman का ये quote राम से ही inspired है। क्यूँकि सारी विद्याएं प्राप्त करने के बाद, राम ने अपने गुरु, ऋषि विश्वामित्र से एक ऐसा सवाल पुछा, जो सिर्फ एक उच्चतम मानव या पुरुषोत्तम ही पूछ सकता है। वह सवाल क्या था? विष्णु के दशावतार कौन थे और वह evolution से कैसे जुड़ें हैं? आइए जानते हैं इस episode में।
10/18/20227 minutes, 23 seconds
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ताड़का राक्षसी क्यों बानी और उसका वध कैसे हुआ?

कंदर्प आश्रम और सरयू-गंगा के मिलाप से आगे बढ़कर, राम, लक्ष्मण तथा ऋषि विश्वामित्र एक ख़तरनाक जंगल पहुंचे। वैसे तो वह जंगल बहुत ही घाना था। वहाँ बिल्व, कुकुभ, बद्री जैसे पेड़ उग रहे थे। पर वहाँ का वायुमंडल बहुत डरावना था। वहाँ की हवा बड़ी ही बदगुमान यानी unpleasant थी। उस जंगल में ताड़का नाम की एक राक्षसी का जो वास था। ताड़का वहाँ पर आते जाते सभी मनुष्यों तथा पशु पक्षियों पर हावी थी। ऋषि विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को उसका वध करने का आदेश दिया। पर शास्त्रों में तो औरतों पर वार करना वर्जित या forbidden था। तो ऋषि विश्वामित्र ने राम को ताड़का का वध करने के लिए कैसे मनाया? उन्हें अपने comfort zone से क्यों बहार निकला? जानिए रामायण आज के लिए के इस episode में।
10/17/20226 minutes, 59 seconds
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गंगा नदी में यात्रा करते हुए राम और लक्ष्मण को क्या सुनाई दिया?

ऋषि विश्वामित्र ये जानते थे कि आगे बढ़कर दोनों राजकुमारों, राम और लक्ष्मण को बहुत तकलीफ़ झेलनी होगी। इस लिए वह उनमें जंगल में रहने की आदत दाल रहे थे। दोनों राजकुमार बाकी शिष्यों की तरह गुरु की सेवा करते, रात भर मिट्टी के फर्श पर लगाई चटाई पर सोते, सुबह उठकर नदी से पानी लाते, लकड़ियाँ इखट्टी करते, हवन पूजा करते और फिर मीलों पैदल चलते। चलते चलते तीनो गंगा के तट पर आ पहुंचे जहाँ से वह नाव में बैठकर सफ़र करने लगे। जब वह थोड़ी दूर पहुंचे तो राम ने एक भयंकर आवाज सुनी, जैसे लहरें ज़ोरों से एक दूसरे से टकरा रही हो। उन्होंने विश्वामित्र से कारण पूछा। विश्वामित्र ने जवाब में उन्हें नदियों के संगम के बारे में बताया। वह नदिया कौनसी थी और हमारी संस्कृति में संगम का क्या महत्व है कि इस concept को Shang Chi जैसी movies में भी दर्शाया गया है? जानने के लिए सुनिए यह episode.
10/14/20225 minutes, 24 seconds
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बल और अतिबल राम के लिए विशेष विद्या क्यों थी?

आज के समय की superhero movies से हमें पता चलता है कि कैसे अपने दुश्मनों को हारने के लिए हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है। पर हथियार सिर्फ अपने प्रतिद्वंद्वी को हानि पहुंचने के लिए नहीं बने। कुछ हथियारों का इस्तेमाल खुद को शक्तिशाली बनाने में भी किया जा सकता है। तो 5000 साल पूर्व हथियार कैसे होते थे और राम लक्ष्मण को इनकी विद्या कैसे मिली? आइए जानतें हैं इस episode में।
10/13/20225 minutes, 9 seconds
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ऋषि विश्वामित्र अयोध्या क्यों आये?

राम अब 16 वर्ष के हो गए थे और ऋषि विश्वामित्र के आगमन के साथ उनकी कहानी और भी रोमाँचक होने वाली थी। दशरथ को अपने पुत्रों पर बहुत अभिमान था, उनसे बहुत लगाव भी था। दशरथ के चारों पुत्रों की शिक्षा या education राजमहल में ही हुई। जैसे जैसे वह बड़े होते गए, राजा दशरथ ने राजगुरु से इन चारों राजकुमारों के विवाह की बात करी। ऐसे में एक विशेष मेहमान राज भवन में पहुँचे। ऋषि विश्वामित्र एक बहुत ही प्रभावशाली, शक्तिशाली ऋषि थे। पर क्या वह राम और लक्ष्मण के विवाह की बात करने आये थे, या उन्हें अपने साथ ले जाने आये थे? और अगर वह उन्हें अपने साथ ले जाने आये थे तो राजा दशरथ ये बात सुनकर मूर्छित या faint क्यों हो गए थे? जानने के लिए सुनिए रामायण आज के लिए के इस episode को।
10/12/20229 minutes, 22 seconds
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राम का जन्म कब और कैसे हुआ?

यहाँ राम की अनोखी amazing सेना तैयार हुई और वहाँ, अयोध्या में, राम और उनके भाइयों का जन्म। छः ऋतुओं या बारह महीनों के बाद, lunar calendar के चैत्र महीने में महारानी कौशल्या के घर राम का जन्म हुआ। कैकई के घर भरत पैदा हुए। तथा सुमित्रा के घर शत्रुघ्न और लक्ष्मण, यह जुड़वा बच्चे पैदा हुए।भरत का जन्म पुष्य नक्षत्र में और लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न का जन्म आश्लेषा नक्षत्र में हुआ। कमाल की बात ये है कि आज भी चैत्र महीने के नौवे दिन हम रामनवमी मानते हैं। पर solar calendar के मुताबिक़ राम की जन्म तिथि क्या है? जानने के लिए tune into this episode. और जानकारी के लिए पढ़ें: https://www.amazon.in/Dating-Era-Lord-Pushkar-Bhatnagar/dp/8129104989
10/11/20225 minutes, 54 seconds
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राम की सेना कैसे जन्मी?

भगवन विष्णु ने घोषणा की कि वह राजा दशरथ के पुत्रों के रूप में जन्म लेंगे और रावण का वध करेंगे। यह तो हम सब जानते हैं कि किसी भी बड़े क्रन्तिकारी काम या revolution के लिए लोगों को साथ लेकर चलना ज़रूरी है। एक अच्छी team का होना महत्वपूर्ण है। वैसे ही भगवान विष्णु ने सभी देवताओं से कहा कि वह उनके साथ पृथ्वी पर जन्म लें और रावण का नाश करने में उनकी मदद करें। जवाब में सभी देवगण अपनी शक्ति सहित वानर रूप में जन्म लेने के लिए तैय्यार हुए बिलकुल Planets of the Apes के characters की तरह। हनुमान, वाली, सुग्रीव यह नाम तो हम जानते हैं पर ये कौनसे देवों के अवतार है, जानिए रामायण आज के लिए के इस episode में।
10/10/20226 minutes, 43 seconds
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भगवन विष्णु ने दशरथ को क्या वरदान दिए?

पृथ्वी पर, अश्वमेध यज्ञ के अंत की और, जब राजा दशरथ ने पवित्र अग्नि में आहुति दी तब उस आग से एक तेजस्वी सृजन या ethereal being बाहर आए। उन्होंने दशरथ से कहा कि मैं वैकुंठ लोक से भगवान विष्णु का संदेश लेकर आया हूं। तुम्हारा अश्वमेध यज्ञ सफल रहा। आशीर्वाद स्वरूप तुम्हें यह पायसम भेजा गया है। इसे खाने से तुम्हे उत्तम स्वास्थ्य मिलेगा और तुम्हारी पत्नियों को इस ही प्रसाद से संतति मिलेगी। तीनो पत्नियों में एक समान बांट देना। परंतु क्या वह पायसम या खीर तीनो पत्नियों में बराबर बांटी गई? और देवी देवता गणों ने अदृश्य रहा कर भी, उनको चढ़ाया प्रसाद कैसे ग्रहण किया? जानिए इस episode में।
10/7/20226 minutes, 23 seconds
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राम रावण से कैसे जुड़े थे?

राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए, ऋषि ऋष्यश्रृंगा द्वारा किया, अश्वमेध यज्ञ इतना ताकतवर था कि, स्वर्ग में, देवी, देवता, गंधर्वा और सिद्ध अपना भाग या offerings लेने खुद पहुंचे। साक्षात ब्रह्मा भी वहाँ आए। तब सभी ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा देव को अपनी तकलीफ़ सुनाई। उन्होंने कहा की रावण नाम के दैत्य ने तीनों लोकों में त्राहि-त्राहि मचाई था। ब्रह्मदेव के दीए वर से रावण इतना शक्तिशाली बन गया था कि सूरज भी उसे जला नहीं पाता, समंदर की लहरें उसे देख कर रुक जाती थी। देवों ने ब्रह्मदेव से ही प्रार्थना की कि इस राक्षस को रोकने के लिए कोई उपाय निकालें। वह उपाय क्या था और श्री राम का इस उपाय से क्या संभंध था, जानने के लिए इस episode को सुनें।
10/6/20225 minutes, 35 seconds
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अश्वमेध यज्ञ की तैयारी कैसे हुई?

उन दिनों प्रकृति को देवी देवताओं की तरह पूजा जाता था। उनसे यज्ञों, मंत्रो और ध्यान के ज़रिये communicate यानी संचार किया जाता था। अकाल पढ़ने पर वरुण देवता की पूजा की जाती थी। अधिक बारिश होने पर इंद्रा देव को पूजा जाता था। राज्य की सीमाओं को बढ़ने के लिए, अपनी शक्ति का परिमाण देने के लिए या संतान के लिए अश्वमेध यज्ञ कराया जाता था। अश्व यानी घोड़ा। एक वर्ष के लिए इस घोड़े को पास पड़ोस के राज्यों में भर्मण करने के लिए खुला छोड़ दिया जाता था। फिर? फिर क्या हुआ आप खुद ही सुन लीजिये। Tune in to this episode now.
10/5/20229 minutes, 6 seconds
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दशरथ ने अश्वमेध यज्ञ क्यों करवाया?

दशरथ एक बहुत ही समृद्ध राजा थे पर उन्हें कोई पुत्र नहीं था। उन दिनों एक राजा की ज़िम्मेदारी होती थी की वह अपने वंश को आगे बढ़ने के लिए पुत्र पैदा करें। बहुत सोच विचार के बाद, राजा दशरथ ने अपने सारथि सुमंत्र की सलाह मांगी। जवाब में सुमंत्र ने उन्हें ऋषि ऋष्यश्रृंगा की कहानी सुनाई, जिसे सुनकर राजा दशरथ को यक़ीन हो गया कि ऋषि ऋष्यश्रृंग ही उनकी मदत कर सकतें हैं। पर कैसे? और क्या ऋष्यश्रृंग का अस्तित्व हमारे आज के भारत में मौजूद है? आइए जानते हैं इस episode में।
10/4/20226 minutes, 37 seconds
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दशरथ कौन थे?

एक समृद्ध राजा administration यानी प्रशासन में तो निपुण होता ही है, साथ ही वह अपने और अपनी प्रजा के जीवन में एक balance बना कर रखता है। वह धर्म अर्थ काम तीनों का महत्व समझता है। धर्म यानी हर एक नागरिक की responsibility अर्थात उत्तरदायित्व, अर्थ मने हर इंसान को अपने जीवन जीने जीने के लिए पर्यात्प पैसे होना और काम का अर्थ है passion. अपना जीवन अपने पति/ पत्नी तथा परिवार के साथ व्यतीत करने के लिए रूचि होना। आइए जानते है, राजा दशरथ ने अपनी प्रजा के लिए इन तीनो गुणों को कैसे संभाले रखा।
10/3/20226 minutes, 24 seconds
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रामायण को सीखने वाले पहले छात्र, लव और कुश

ऋषि बाल्मीकि ने राम की कहानी पर आधारित एक ख़ूबसूरत काव्य की रचना की। जिसमें जीवन के सभी अलग-अलग रस थे। रिश्ते, समाज, अर्थ व्यवस्था। राजा को कैसा होना चाहिए। प्रजा को कैसा होना चाहिए। यह सारी बातें इस महाकाव्य में लिखी गयीं। उन दिनों में literature और शास्त्रों का अभ्यास एक विशेष लय और मात्रा में किया जाता था। और गुरुकुलों यानी schools में इस oral tradition को बनाये रखने की training दी जाती। पर रामायण जैसा महाकाव्य सबसे पहले किसको सिखाया जाये? कौन इसको आगे ले जाने के लिए योग्य है? आइए जानते हैं इस episode में।
9/30/20228 minutes, 37 seconds
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क्या रामायण एक सत्य घटना है?

इस episode में podcast host, Kavita Paudwal, ऐसे प्रमाण या proofs के बारे में चर्चा करतीं हैं, जो राम और रामायण की वास्तविकता का प्रतीक हो सकतें हैं। वह यहाँ astronomy और भाषा दोनों का उदहारण देतीं हैं। आपको बता दें, कि इस प्रकार का trivia आपको आने वाले episodes में भी सुनने को मिलेगा। ख़ैर, ध्यान में रखने वाली बात तो ये है, कि चाहे रामायण एक सत्य घटना थी या नहीं, इस बात से हमारे जीवन में उसके फ्रभाव पर कोई असर नहीं पढ़ना चाहिए। रामायण हमारे मार्गदर्शन के लिए बानी है और इस ही उद्देश्य से ये podcast series रची गयी है।
9/29/20228 minutes, 2 seconds
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रामायण को लिखने के लिए श्री वाल्मीकि की रचनात्मकता का क्या स्रोत था?

श्री वाल्मीकि को नारद मुनि ने राम की कहानी सुनाई। जिसके बाद उन्हें एक योगिक शक्ति प्राप्त हुई, जिससे उन्होंने पूरी रामायण को दिव्य दृष्टि से साफ़ साफ़ देखा। इस शक्ति को clairvoyance भी कहा जा सकता है। पर कहानी लिखने से पहले उनका सामना एक शिकारी से हुआ। इस मुलाक़ात के दौरान, वाल्मीकि जी ने एक ऐसा छंद बोला, जिसे बोलने से उन्हें बहुत दुख हुआ। पर वही छंद, आगे चल कर, रामायण का आधार कैसे बना? कैसे वह, वाल्मीकि जी की creativity यानी रचनात्मकता का source अर्थात स्रोत कैसे बना? आइए जानते हैं इस episode में।
9/28/20227 minutes, 13 seconds
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ऋषि वाल्मीकि ने रामायण क्यों लिखी?

पूरी दुनिया में रामायण के कम से कम 224 versions मौजूद हैं। लेकिन original यानि मूल रामायण वाल्मीकि रामायण को ही मन जाता है, जो संस्कृत में लिखी गयी है। पर मज़े की बात तो ये है कि असली कहानी वाल्मीकि जी ने रची ही नहीं। ये कहानी बहुत पुरानी है। सनातन philosophy में हम समय को एक cycle की तरह नापते हैं। उसे कालचक्र कहा जाता है। माना जाता है कि काल्चक्र मे जितनी बार त्रेता युग आया उतनी बार राम ने इस पृथ्वी पर जन्म लिया और रामायण घाटी। पर ऋषि वाल्मीकि ने ये कहानी कहाँ सुनी और क्यों लिखी? रामायण इतनी universal और प्रासंगिक क्यों है? आइए जानते हैं इस episode में।
9/27/20228 minutes, 56 seconds
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क्या हमें आज रामायण की ज़रुरत है?

महान ऋषि वाल्मीकि पहले एक दकैत और शिकारी हुआ करते थे। जब ऋषि नारद ने उन्हें राम का नाम लेने की सलाह दी तो वह राम कह भी नहीं सकते थे। मारा मारा मारा को दोहराते थे क्यूंकि वह सिर्फ मरना जानते थे। पर मारामारामारा दोहराते दोहराते रामा बन गया और इस ही के अभ्यास ने उन्हें विद्वान बना दिया। जब राम ने खुद, लव और कुश से रामायण की कहानी सुनी तो उन्हें लगा कि जो भी यह कहानी सुनेगा उसके मन में एक पॉजिटिविटी आ जाएगी है। उसके जीवन को एक दिशा मिलेगी है। राम ने ये तक कहा कि उनका खुदका जीवन भी सुभ और मंगलमय हो गया। इसलिए तो कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम या राम की कथा यानि रामायण। पर क्या आज के इस युग में हमें श्रीराम जैसी मर्यादा और सिद्धांत रखने चाहिए? क्या हमें इनकी ज़रुरत है? और अगर है तो क्यों और कैसे? ये समझने के लिए tune in.
9/24/20227 minutes, 20 seconds